दरभंगा न्यूज़: राज्य सरकार चौर भूमि में मछली पालन को बढ़ावा देगी. इस वर्ष 600 हेक्टेयर चौर भूमि के विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है. पांच वर्ष में 25000 हेक्टेयर में चौर भूमि विकसित होगी. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की वेबसाइट पर इसके लिए आवेदन भी किए जा रहे हैं.
समेकित चौर भूमि में सिर्फ एक फसल होती है. उत्तर बिहार में ऐसी भूमि का रकबा ज्यादा है. वहां बाढ़ आने के चलते निचली भूमि में पानी भरा रहता है. राज्य सरकार इसी भूमि को तालाब के रूप में विकसित करेगी. यहां मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा. चौर भूमि में मछली पालन को बढ़ावा मिलने से उत्पादन में वृद्धि होगी. आंकड़ों को देखें तो वर्तमान में राज्य में 9.41 लाख हेक्टेयर चौर भूमि है. इसमें ढाई लाख हेक्टेयर मछली पालन के लिए उपयुक्त है. इस भूमि में किसान एक ही फसल ले पाते हैं. आठ माह से ज्यादा समय तक खेत में पानी भरा रहता है. इसलिए सरकार ने सात निश्चय-2 में चौर भूमि को विकसित करने का निर्णय लिया है. इसी के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष में 600 हेक्टेयर में चौर भूमि विकसित की जाएगी. इसके लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की वेबसाइट पर आवेदन किए जा रहे हैं. कृषि रोड मैप में अगले पांच वर्षों में 25 हजार हेक्टेयर चौर भूमि विकसित की जाएगी.
170 हेक्टेयर हो चुका है विकसित
चौर का विकास तीन मॉडलों पर आधारित होगा. इसमें से लाभुक एक या एक से अधिक मॉडल चुनने को स्वतंत्र होंगे. साथ ही तालाब के बांध पर कृषि, कृषि वानिकी, उद्यानिक फसलों का स्वैच्छिक चुनाव कर सकेंगे. पिछले साल से यह योजना चल रही है. अभी तक 170 हेक्टेयर चौर भूमि को विकसित कर तालाब का निर्माण कराया जा चुका है.
अगले पांच वर्षों में बढ़ेगा मछली का उत्पादन
अगले पांच वर्षों में 25 हजार हेक्टेयर चौर भूमि का विकास होने के बाद मछली उत्पादन बढ़ेगा. इससे पंद्रह हजार हेक्टेयर जलक्षेत्र तालाब का निर्माण होगा. इससे करीब पचास हजार टन मछली और अन्य कृषि उत्पादन का अनुमान है. वर्तमान में राज्य में मछली की मांग 8.02 लाख मीट्रिक टन है. वर्ष 2023-24 में इसके बढ़कर 9.56 लाख मीट्रिक टन हो जाने का अनुमान है. उत्पादन 8.89 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है.