बिहार

सबसे पहले भगवान श्रीराम ने यहीं किया था तर्पण, मसौढ़ी के पुनपुन नदी के तट पर पिंडदान का खासा महत्व

Admin4
23 Aug 2022 6:17 PM GMT
सबसे पहले भगवान श्रीराम ने यहीं किया था तर्पण, मसौढ़ी के पुनपुन नदी के तट पर पिंडदान का खासा महत्व
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पटना: बिहार के पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल का पुनपुन घाट ( Pitri Paksha Fair On Punpun River Bank In Patna) आदि गंगा के नाम से जाना जाता है, जिसे पिंडदान का प्रथम द्वार कहा जाता है. जिसकी महत्ता पुराणों और वेदों में लिखी गई है. हिंदू धर्म की मान्यता अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में 15 दिन तक पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है. इस बार 9 सितंबर को पितृपक्ष मेला 2022 की शुरुआत होगी जो 25 सितंबर तक चलेगी. इसको लेकर प्रशासन की ओर से जोर-शोर से तैयारी की जा रही है.

पुनपुन में भगवान श्री राम ने किया था पिंड दान: मान्यताओं के अनुसार पुनपुन घाट पर ही भगवान श्री राम (Lord Shri Ram Pind Daan in Punpun) माता जानकी के साथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पहला पिंड का तर्पण किए थे, इसलिए इसे पिंड दान का प्रथम द्वार कहा जाता है. इसके बाद ही गया के फल्गु नदी तट पर पूरे विधि-विधान से तर्पण किया गया था. प्राचीन काल से पहले पुनपुन नदी घाट पर पिंडदान तर्पण करने फिर गया के 52 वेदी पर पिंडदान का तर्पण करने की परंपरा भी है. तभी पितृपक्ष में पिंडदान को पूरा तर्पण संपन्न माना जाता है.9 सितंबर से पितृपक्ष मेले की शुरुआत: ऐसे में सरकार ने पुनपुन को अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला के रूप में मान्यता प्रदान की है और प्रत्येक साल सरकारी तौर पर यहां पर पितृपक्ष मेला का आयोजन होता है. 9 सितंबर से शुरू होने वाले पितृपक्ष मेले की तैयारी में प्रशासन जुटा है. वहीं पुजारी तारणी मिश्र ने पुनपुन नदी घाट पर तर्पण की महता को बताते हुए कहा कि यहां पिंडदान से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है."पितरों की आत्मा की शांति के लिए अगर कोई पुनपुन नदी के तट पर आकर पिंडदान करेंगे तो पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दौरान दान धर्म की परंपरा का निर्वहन भी किया जाता है."- तारणी मिश्र, पुजारीप्रशासनिक तैयारियां जारी: वहीं पटना के उप विकास आयुक्त तनय सुल्तानिया ने कहा कि पुनपुन में अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला को लेकर जिला प्रशासन की तैयारियां शुरू हो गई है. मसौढ़ी अनुमंडल के अनुमंडल पदाधिकारी, पुनपुन के अंचलाधिकारी समेत सभी पदाधिकारियों को दिशा निर्देश दिए गए हैं. सतत रूप से सभी तैयारी हो रही है."सभी संबंधित पदाधिकारियों के साथ बैठक की गई है. सभी को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं. अनुमंडल और अंचल के स्तर पर सभी तैयारियां करवाई जा रही है."- तनय सुल्तानिया, उप विकास आयुक्त, पटनाक्यों करते हैं पितृ पक्ष?: हिंदू धर्म में व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात उसे पितृ की संज्ञा दी जाती है. मान्यता अनुसार मृतक का श्राद्ध या तर्पण न करने से पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती है, जिससे घर में पितृ दोष लगता है और घर पर कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं. वहीं जिनके घर के पितृ प्रसन्न रहते हैं उनके घर कभी कोई मुसीबत नहीं आती है. ऐसे में पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए आश्विन माह में 15 दिन का पितृ पक्ष समर्पित होता है, इस बीच पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध किया जाता है.पढ़ें: गया जी और तिल में है गहरा संबंध, पिंडदान से लेकर प्रसाद तक में होता है उपयोग

कब से शुरू हो रहा पितृ पक्ष 2022: पितृ पक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के पुर्णिमा से शुरू होता है. भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर को है, ऐसे में पितृ पक्ष की शुरुआत 11 सिंतबर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा तिथि से हो रही है. इसका समापन 25 सितंबर को होगा. इस बीच पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए उनका तर्पण अवश्य करना चाहिए.

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