बिहार
कल्पवास मेला में पूरी हुई पहली परिक्रमा, उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
Shantanu Roy
21 Oct 2022 6:28 PM GMT

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बेगूसराय। बिहार के एकलौते कल्पवास मेला सिमरिया में शुक्रवार को सर्वमंगला के संस्थापक स्वामी चिदात्मन जी के नेतृत्व में पूर्णिमा के अवसर पर प्रथम परिक्रमा किया गया। ज्ञान मंच से निकली परिक्रमा में आगे-आगे राष्ट्रध्वज और उसके पीछे धर्म ध्वजा लिए हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा तथा ''जय राम हरे जय कृष्ण हरे, जय मिथिला सिमरिया धाम हरे'' से गूंजता रहा। इस अवसर पर स्वामी चिदात्मन जी ने कहा कि भारत का अतीत अनादि काल से धर्म और आध्यात्मिक क्षेत्र में गौरवमयी रहा है। प्रत्येक राष्ट्र संविधान से व्यवस्थित होता है और विश्व की मानवता शास्त्र से व्यवस्थित होता है। जिससे हमारे समाज में शांति, सदाचार, व्यवहार कुशलता हमारी पहचान है। जब मानवता से समाज व्यवस्थित होता है तो समाज में अमन-चैन आता है। इसलिए समाज, राष्ट्र और ब्रह्मांड को व्यवस्थित करने के लिये धर्म की प्रधानता है। संसार में सबकुछ चलायमान है, सिर्फ धर्म ही निश्चल है। उन्होंने कहा कि गंगा स्नान मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं, कार्तिक महीना में अनादि काल से सिमरिया धाम में कल्पवास की प्रथा चली आ रही है।
इस क्षेत्र में परिक्रमा के पग-पग पर अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है। मोक्षदायिनी नदियों में सर्वोपरी गंगा इहलौकिक सुख और पार लौकिक गति देनेवाली कही गई है। उसी गंगा के पावन तट पर कल्पवास करने आए कल्पवासी कलप रहे हैं, साधु-संतों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। आखिर साधु-संत समाज अपने मन की व्यथा किससे कहें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सनातन धर्म, संत और राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में लगे हुए हैं। 2017 में सिमरिया धाम में कुंभ का उद्घाटन करने आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच से घोषणा किया था कि इस धाम का सर्वांगीण विकास होगा। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री सबकी नजर यहां है, लेकिन रामघाट और जानकी घाट के उद्धार के इंतजार में हैं, यहां गंदगी का भरमार है। आदि कुंभस्थली सिमरिया धाम में अगले साल 2023 में अर्द्धकुंभ लगने जा रहा है। इस बीच सिमरिया धाम का कायाकल्प हो और समुचित सुविधा व्यवस्थित करने का दायित्व सरकार और जिला प्रशासन को पूरा करना चाहिए। उन्होंने सर्वमंगला आश्रम में श्रद्धालुओं के साथ सांकेतिक धरना दिया तथा कहा रामघाट पर सभी सुविधाएं शीघ्र व्यवस्थित नहीं हुई तो दूसरे परिक्रमा के अवसर पर घाट किनारे ही श्रद्धालुओं के साथ धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होना पड़ेगा।
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