मुजफ्फरपुर न्यूज़: राज्य में अब सभी स्तर के अपराधियों या किसी अभियुक्त का जिला स्तर पर फिंगर प्रिंट एकत्र किया जाएगा. इस बाबत सभी जिलों को व्यापक कार्ययोजना जल्द तैयार कर काम शुरू करने का निर्देश दिया गया है. इसे लागू करने से संबंधित समुचित दिशा-निर्देश तैयार करने की जिम्मेदारी सीआईडी को सौंपी गई है.
सीआईडी के स्तर से इसकी गाइडलाइन तैयार होने के बाद इसे एक समान रूप से लागू कर दिया जाएगा. सभी जिलों के बड़े थानों से इसकी शुरुआत होगी. इसके बाद इसे चरणवद्ध तरीके से अन्य स्तर के थानों में होगा. इससे संबंधित सॉफ्टवेयर एनआईसी (नेशनल इंफॉरमेटिक सेंटर) की मदद से तैयार किया जा रहा है. आने वाले समय में इस प्रणाली को नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएफआईएस) के साथ भी जोड़ने की योजना है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देशभर के अपराधियों का समुचित डाटाबेस तैयार करने के लिए एनएफआईएस की शुरुआत कर दी है. मध्य प्रदेश, दिल्ली ने इस मामले में काफी काम किया है. एनएफआईएस को आगे चल कर सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) से भी जोड़ने की योजना है. ताकि दोनों के डाटा को एक दूसरे के साथ जोड़कर उपयोग किया जा सके.
यह होगा इससे लाभ:
किसी अपराधी के पकड़े जाने पर उसके फिंगर प्रिंट को मैच किया जाएगा, जिससे पता चल सके कि कहां के किस अपराधी ने इस वारदात को अंजाम दिया है. किसी घटना होने पर मौका-ए-वारदात से जितने भी फिंगर प्रिंट एकत्र किए जाएंगे, उन सभी को इसमें डालकर मैच किया जाएगा, ताकि पता चल सके कि कौन-कौन अपराधी इसमें शामिल थे. किसी एक अपराधी के बारे में भी जानकारी मिलने पर पूरे अपराधी गैंग का खुलासा हो सकेगा. इससे किसी घटना के अनुसंधान में काफी आसानी होगी.
10 अंकों वाला यूनिक नंबर दिया जाएगा:
एनएफआईएस में जिस अपराधी के फिंगर प्रिंट को दर्ज किया जाएगा, उसे 10 अंकों वाला एक यूनिक नंबर दिया जाएगा. इसके प्रथम दो अंक संबंधित राज्य का कोड होगा. शेष दो अंक थाना का कोड होगा. इसके बाद संबंधित अपराधी या अभियुक्त का नंबर होगा. इससे संबंधित अपराधी के फिंगर प्रिंट को कहीं से भी ट्रैक करके उसका पूरा विवरण देखा जा सकता है. इसमें किसी व्यक्ति के फिंगर प्रिंट को स्कैन करके डालने पर इसमें मौजूद डाटाबेस से यह ऑटोमैटिक मैच करके भी उसकी जानकारी बता देगा. इस प्रणाली को ई-एफएसएल से भी जोड़ा जाएगा, ताकि कहीं से कोई थाना इसे देख सकता है. एफएसएल की रिपोर्ट भी इससे जुड़ जाएगी. आने वाले समय में एफएसएल की रिपोर्ट को भी ऑनलाइन भेजने की व्यवस्था की जा रही है.