कटिहार: जिले में इस बार मानसूनी बारिश के दगा देने से धान उत्पादक किसान ठगा महसूस कर रहे हैं. धान उत्पादन में कटिहार जिला सीमांचल में दूसरे स्थान पर है.
मानसून में इस साल हुई 40 फीसदी कम बारिश ने कई साल का रिकार्ड तोड़ दिया है. जून व जुलाई में भी सामान्य से कम बारिश हुई है. मौसम विभाग की माने तो इस बार मानसून में अन्य साल की अपेक्षा सबसे कम दिन बारिश हुई है. यह कृषि के साथ स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं है. मानसून में इस साल 18 दिन ही बारिश हुई है. इस बार जुलाई में हुई 181 एमएम बारिश भी पिछले साल से कम है. 15 जून से 31 जुलाई के बीच पांच साल में सबसे कम बारिश इस साल हुई है. इस बार 15 जून से 31 जुलाई के बीच 257 एमएम बारिश हुई है. जून में 185 एमएम मानक बारिश होनी है. इसमें 96 एमएम बारिश हुई. यह सामान्य से 84.1 एमएम कम बारिश है. जुलाई में 322.3 एमएम मानक बारिश है, लेकिन 131.2 एमएम बारिश ही हुई.
जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश और इसके दिन कम होते जा रहे हैं. खेती पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. समय पर अच्छी बारिश नहीं होने से धान की खेती में देरी हुई है. इस बार धान के उत्पादन में 20 फीसदी तक कमी आ सकती है.
- पंकज कुमार, कृषि वैज्ञानिक, केवीके, कटिहार
पंपसेट के सहारे सिंचाई
मानसूनी बारिश नहीं होने के कारण जिले के किसानों को डीजल पंपसेट के सहारे खेतों में सिंचाई करनी पड़ रही है. धान उत्पादक किसानों में बसुहार के रतन सिंह, बल्थी महेशपुर के राजेश यादव, समेली के संतोष मंडल, बरारी के सुरेश साह ने बताया कि वे लोग मानसूनी बारिश के भरोसे धान की खेती करते हैं. बारिश नहीं होने से बिचड़ा व खेतों में रोपे गये धान का पौधा बचाने के लिए डीजल पंपसेट का सहारा लेना पड़ रहा है.