नालंदा न्यूज़: अनुदान पर ढैंचा बीज लेने के लिए किसान प्रखंड मुख्यालयों के ई-किसान भवनों की खाक छान रहे हैं. अधिकारी और डीलर यह कहकर हाथ खड़े कर रहे हैं कि अबतक बिहार राज्य बीज निगम से बीज की आपूर्ति ही नहीं की गयी है. जबकि, किसानों का कहना है कि ढैंचा बीज की बुआई का समय निकल रहा है. बीज मिलने में देर होगी तो अगात खरीफ की खेती पर इसका प्रतिकुल असर पड़ सकता है.
नालंदा में इसबार 791 हेक्टेयर में ढैंचा (हरी खाद) लगानी है. प्रति हेक्टेयर 20 केजी के हिसाब से 158.2 क्विंटल बीज किसानों को मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है. अबतक तक 1098 किसानों द्वारा 104 क्विंटल बीज के लिए ऑनलाइन आवेदन किया चुका हैं. प्रति किलो 80 फीसद (अधिकतम 63 रुपया) अनुदान मिलना है. एक किलो बीज के लिए अनुदान काटकर किसान को 17 रुपए देने होंगे. एक किसान को एक हेक्टेयर के लिए अधिकतम 20 किलो बीज मिलेगा. बीज का वितरण प्रखंड मुख्यालयों के ई-किसान भवन में किया जाना है. इसके लिए नौ डीलरों को अधिकृत किया गया है. विडंबना यह कि 25 मई तक बांटने की अंतिम डेडलाइन तय की गयी है. लेकिन, अबतक बीज का ही पता नहीं है. आवेदनों का सत्यापन कर कृषि समन्वयक बीएओ को भेजेंगे. बीएओ जांच के बाद डीएओ को देंगे तो किसानों के मोबाइल पर ओटीपी आएगा. उसके बाद बीज मिलेगा.
चंडी से तीन तो बेन से महज चार आवेदन
आवेदन है. अन्य प्रखंडों से आवेदन ठीकठाक आये हैं. लेकिन, चंडी से महज तीन तो बेन से चार किसानों ने आवेदन अबतक दिया है. पंचायत स्तर पर तैनात कर्मी किसानों को जागरूक करने में नाकाम हो रहे हैं. जनकारों की मानें तो 15 जून तक ढैंचा के बीज खेतों में डाल सकते हैं. हालांकि, बारिश होने पर मिट्टी में नमी रहती है तो फरवरी में भी इसकी बुआई कर सकते हैं.
35 से 45 में हो जाता है तैयार
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के जिला तकनीकी पदाधिकारी धनंजय कुमार कहते हैं कि ढैंचा ऐसी फसल है जो दो नकदी फसलों (खरीफ और रबी) के बीच जल्दी से विकसित होती है. जब इसे मिट्टी में शामिल किया जाता है तो इसमें लगने वाली फसलों को नाइट्रोजन, आर्गेनिक कार्बन व अन्य पोषक तत्व प्रदान करती है. मिट्टी की जैविक सामग्री और जलधारण की क्षमता भी बढ़ाती है. फसल 35 से 45 दिन का हो जाती है तो खेत की जुताई कर उसे मिट्टी के नीचे दबा दिया जाता है. इससे हरी खाद तैयार होती है.
बिहार राज्य बीज निगम द्वारा तक ढैंचा बीज की आपूर्ति जिला में होने की उम्मीद है. ई किसान भवनों में काउंटर खोलकर किसानों को अनुदान पर बीज मुहया कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. -संजय कुमार, डीएओ, नालंदा