नालंदा न्यूज़: आम के पेड़ों में मंजर आने लगे हैं. इसे देख किसानों के चेहरे खिल गये हैं. अब समय आ गया है कि बागों की देखरेख के लिए बागवानों को सजग होना पड़ेगा. सुरक्षा चक्र को अपनाना होगा. कीट-व्याधियों का प्रकोप बढ़ेगा तो नुकसान उठाना पड़ सकता है. ध्यान यह भी रखना है कि बाग की सिंचाई भूलकर भी न करें. वरना, मंजर झड़ सकते हैं.
मंजर लगने के साथ आम के पेड़ों पर मधुआ कीट का प्रकोप भी बढ़ जाता है. इससे सावधान रहने की जरूरत है. पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक अनिल कुमार कहते हैं कि छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख बागवान नुकसान से बच सकते हैं. इसबार मौसम का साथ भी खूब मिल रहा है. न्यूनतम 12 से 15 डिग्री तो अधिकतम 15 से 18 डिग्री तापमान को मंजर के लिए काफी अनुकूल माना गया है. जनवरी से अंतिम सप्ताह से 15 फरवरी तक मंजर लगने का मुख्य सीजन होता है. इस सीजन में बागवानों को पेड़ों पर अच्छी तरह से कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए. इससे कीटों का प्रकोप नहीं होता है.
ध्यान यह भी रखना है कि जब टिकोले सरसों दाने के आकार के हो जाएंगे तो पुन छिड़काव करना चाहिए. उसके बाद टिकोले के मटर दाना का होने पर दवा देनी चाहिए. यानि, फूल से फल बनने तक में तीन बार दवा का छिड़काव जरूरी है. इस बीच पेड़ की सिंचाई बिल्कुल नहीं करनी चाहिए. सिंचाई करने पर मंजर और टिकोले के झड़ने की संभावना रहती है. फल में गुठली होने पर ही सिंचाई करें. इससे पैदावार काफी अच्छी मिलेगी.
बागानों में 22 प्रकार के लगे हैं पेड़ जिले में दो हजार 967 हेक्टेयर में आम के बाग लगे हैं.
हर साल करीब 30 हजार 810 टन आम का उत्पादन होता है. नालंदा के बागानों में 20 से 22 वेरायटी के आम के पेड़ लगे हैं. बदलते ट्रेंड के साथ मलिका, अल्फांसो, जरदालु और अम्रपाली के बाग लगाने में भी बागवान रुचि लेने लगे हैं. हरनौत, अस्थावां, सिंगथू, पावा, हिलसा के वारा, करायपरसुराय में बड़े-बड़े आम के बाग लगे हैं.
मौसम का साथ मिलता है तो अमूमन एक पेड़ से डेढ़ से दो क्विंटल फल मिल जाते हैं.