दरभंगा: जिले के अधिकतर किसान मिट्टी जांच कराने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. इस वजह से किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का सही तरीके से लाभ नहीं मिल पा रहा है. किसान फसल की उपज बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करते हैं. इस कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त होती जा रही है.
जानकारों का कहना है कि मिट्टी जांच होने से उर्वरकों का नियंत्रित प्रयोग होने के साथ ही लागत खर्च को भी कम किया जा सकता है. मिट्टी जांच होने से किसानों की औसत लागत में 20 से 40 फीसदी तक की कमी लायी जा सकती है. हालांकि मिट्टी जांच के लिए कृषि विज्ञान केंद्र व कृषि विभाग की ओर से किसानों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी जांच का औसत काफी कम है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में अब तक कुल 1148 नमूनों की जांच की गई है और 820 किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया है.
जानकार बताते हैं कि सभी किसानों को प्रत्येक तीन साल में मिट्टी की जांच करानी चाहिए. अगर संभव हो तो नियमित अपने खेत की मिट्टी जांच कराएं. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुरूप ही अपने खेत में उर्वरक का प्रयोग करें. इससे लागत और उपज में वृद्धि होगी. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के तहत किसानों को जो कार्ड दिया जाता है उसमें खेत की मिट्टी के बारे में जानकारी मिलती है. इससे किसान मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर अच्छी फसल का लाभ ले सकते हैं.
इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिट्टी की जांच कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने के साथ ही खेत की मिट्टी के अनुसार फसल लगाने का सुझाव भी दिया जाता है. इसके अलावा मिट्टी में कितनी-कितनी मात्रा में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है तथा किस फसल के लिए कितनी और कौन सी खाद खेत में इस्तेमाल करनी होगी, इसकी भी जानकारी दी जाती है. मृदा कार्ड में किसान का नाम, मृदा स्वास्थ्य कार्ड संख्या, वैधता, पोषक तत्व यानी सल्फर, जिंक, बोरोन, आयरन, मैगनीज, कॉपर, पीएच, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश की सही जानकारी अंकित रहती है. इसकी मात्रा की भी जानकारी मृदा कार्ड मेें होती है.
किसानों को जो मृदा कार्ड दिया जाता है उसमें मिट्टी जांच के बाद धान, गेहूं, सरसों, आलू आदि फसल के लिए कितनी मात्रा में यूरिया, डीएपी, पोटाश व मिक्सचर देनी है वह भी अंकित रहता है. मृदा कार्ड के अनुसार किसान अपने खेत में खाद देते हैं तो एक हेक्टयर में कितनी फसल हो सकती है इसकी भी जानकारी उपलब्ध हो सकती है. बहादुरपुर प्रखंड की देकुली पंचायत के किसान चंद्रशेखर झा ने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड के हिसाब से खेत में कार्बनिक खाद, उर्वरक एवं सूक्ष्म पोषक तत्व का संतुलित मात्रा में प्रयोग किया. फसल कटनी के बाद 34 की जगह 38.8 क्विंटल प्रति हेक्टयर उत्पादन हुआ.
वहीं, बेनीपुर प्रखंड के शिवराम गांव के किसान जयनंदन ठाकुर ने बताया कि खेत की मिट्टी की जांच कराकर कार्बनिक खाद का संतुलित मात्रा में प्रयोग के साथ जैविक खाद का भी प्रयोग किया. इसके बाद फसल उत्पादन में वृद्धि हुई. मिट्टी रसायन की सहायक निदेशक डॉ. अनु कुमारी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-2024 में 6,742 नमूनों की जांच करनी थी. इसमें 1148 नमूनों की जांच की गई. 820 किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया जा चुका है.