बेगूसराय न्यूज़: पैक्स में धान की खरीद सही तरीके से नहीं होने के कारण किसान मजबूरी में सरकारी दर से काफी कम कीमत पर ही धान को बाजार में बेच रहे हैं. इसके कारण उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. पैक्स द्वारा कहा जाता है कि धान अभी कच्चा है.
कई किसानों ने बताया कि क्रय केंद्र समय पर नहीं खुलने के कारण उन्होंने दुकानदार को ही 1600 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से अपना धान बेच डाला. सरकारी स्तर पर धान की कीमत 2040 रुपए है. बताया कि पैक्सों में धान बेचने पर ढेर लफड़ा है. बोरा की कीमत, किराया, पूरे दिन का समय लगने से बचने के कारण किसान अपने धान को खुले बाजार में बेचने को विवश हैं. खुले बाजार में बेचने से नगद राशि तुरंत मिल जाती है. स्वयं व्यापारी घर तक आ जाते हैं. वहीं पैक्सों से देर से भुगतान होता है.
बरौनी की बभनगामा पंचायत के रंजन कुमार, अरुण सिंह, राजू कुमार समेत अन्य किसानों ने बताया कि बरौनी में पैक्स के जरिये धान की अधिप्राप्ति शुरू नहीं होने के कारण बाजारों में औने पौने दरों पर वे लोग धान को बेचने को मजबूर हैं. विगत वर्ष धान की खरीद करने वाले मल्हीपुर उत्तर के पैक्स अध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि इस बार उन्हें अब तक अनुमति नहीं मिली है और इस वजह से वे धान की खरीद शुरू नहीं कर पा रहे हैं. बता दें कि सरकार के द्वारा धान का समर्थन मूल्य 2040 तय किया गया है जबकि बाजार में धान 15 सौ से लेकर 1700 रूपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद हो रही है.
व्यापारी के यहां धान बेचना पसंद कर रहे किसान पैक्स की जगह व्यापारी के हाथो धान बेचना किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. किसानों ने बताया कि व्यापारी घर पर आकर 1950 रुपए प्रति क्विंटल धान की खरीद कर रहे है. पैक्स के माध्यम से धान बेचने पर किसानों को 2040 रुपए प्रति क्विंटल भुगतान का प्रावधान है. इसके लिए किसानों को अपना धान बोरा में कर गोदाम पर लाने पर लिए जाने के कारण किसान अब व्यापारी के हाथ धान बेचना मुनासिव समझते हैं.
रसलपुर के किसान शंभु चौधरी, चूड़ामनचक के यशवंत राय, पाली के अनिल सिंह आदि ने बताया कि शुरुआत में पैक्स को कम लक्ष्य मिलने और खुले बाजार में कम रेट के कारण पैक्स की ओर झुकाव था. वर्तमान में खुले बाजार में रेट बढ़ने के कारण किसानों का झुकाव व्यापारी की ओर बढ़ गया है. पैक्स में साफ धान और लोडिंग अनलोड व्यय और भुगतान में बिलंब के कारण किसान धान व्यापारी के हाथो बेच रहे हैं.
किसानों ने बताया कि व्यापारी धान का उठाव करते ही भुगतान किया जा रहा है. साथ ही धान की क्वालिटी, बोरा, लोडिंग का कोई झंझट भी नही है. इस कारण किसानो को अपना धान व्यापारी के हाथो बेचना फायदेमंद साबित हो रहा है.