बेगूसराय न्यूज़: राज्य के किसान भवनों पर पाठशाला लगेगी. राज्य के दोनों कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक उन्हें खेती-किसानी के गुर सिखाएंगे. उन्नत बीज, खाद, तकनीक, रसायन से लेकर बाजार की बारीकियां समझाएंगे.
इसके अलावा पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के चिकित्सक पशुओं की देखभाल के तरीके भी बताएंगे. इसके लिए 478 ई किसान भवनों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा. वहां क्लासरूम और स्क्रीन की सुविधा रहेगी. इंटनरेट कनेक्शन, कंप्यूटर आदि सुविधाएं बहाल की जाएंगी ताकि कृषि वैज्ञानिक किसानों की पाठशाला से ऑनलाइन जुड़ सकें.
चौथे कृषि रोड मैप में भी इसे शामिल किया गया है.
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा और बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना को पाठशाला लगाने की जिम्मेवारी दी जा रही है. अभी किसानों को किसान भवन पर पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती थी. ई किसान भवन बनकर तैयार थे लेकिन वहां से कोई विशेष जानकारी या मदद किसानों को नहीं मिल पा रही थी. अब विशेषज्ञों के जरिए उन्हें कृषि क्षेत्र की नवीनतम जानकारी हासिल हो पाएंगी. इतना ही नहीं बाजार की जानकारी मिलने से फसलों को उचित दाम भी मिल पाएगा.
निर्धारित विषय पर एक साथ पढ़ाई
जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने, नई तकनीक की जानकारी देने आदि के लिए ई पाठशाला की जरूरत महसूस की जा रही थी. इसी के बाद कृषि विभाग ने यह योजना बनाई है. पहले चौपाल के जरिए किसानों की पाठशाला लगती थी. अब किसान भवन बनने के बाद चौथे रोड मैप में इसे नया रूप दिया जा रहा है. किसान भवन पर निर्धारित विषयों पर किसी खास दिन कक्षाएं लगेंगी. उस समय राज्य भर के 478 ई किसान भवनों पर किसान मौजूद रहकर जानकारी हासिल कर सकते हैं.
दस करोड़ रुपये जारी क्षेत्रीय कृषि पदाधिकारियों की देखरेख में पाठशाला लगेगी. किसानों को वहीं इकट्ठा करेंगे. कृषि विभाग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में ई किसान भवनों के संचालन के लिए दस करोड़ रुपये जारी किए हैं. यह राशि 478 किसान भवनों के परिचालन और रखरखाव पर खर्च होगी. इससे किसानों को प्रशिक्षण, सुरक्षा, साफ-सफाई, बिजली, इंटरनेट सुविधा और क्षेत्रीय कृषि पदाधिकारियों के संचार सुविधा मुहैया कराई जाएगी.