बिहार

सुदूर गांवों से अब भी निजी वाहन से रोगी पहुंचते हैं अस्पताल

Admin Delhi 1
13 May 2023 2:11 PM GMT
सुदूर गांवों से अब भी निजी वाहन से रोगी पहुंचते हैं अस्पताल
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नालंदा न्यूज़: इस्लामपुर जैसे बड़े प्रखंडों के सुदूर गांवों में अब भी रोगी निजी वाहन से ही अस्पताल पहुंचते हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से अधिक दूरी रहने के कारण वहां पहुंचने में आधा घंटा से अधिक समय लगता है. खासकर दुर्घटना में जख्मी या अन्य मामलों में गंभीर रोगियों को परेशानी होती है. 102 नंबर अक्सर व्यस्त रहने के कारण परिजन रोगी को जैसे तैसे अस्पताल लेकर पहुंचते हैं. ऐसे में कई बार रोगियों की जान सांसत में रहती है. अलबत्ता प्रसव के लिए महिलाओं को समय पर एम्बुलेंस मिल जा रही है.

हरनौत प्रखंड के ललुआडीह, तेलमर जैसे गांवों से अक्सर रोगी अपने वाहन से ही अस्पताल पहुंचते हैं. हालांकि, प्रसव के लिए एम्बुलेंस का इंतजाम है. वहां की आशा कार्यकर्ता कल्याणबिगहार रेफरल अस्पताल से सीधे संपर्क कर एम्बुलेंस मंगवाती हैं. इससे 15 मिनट तक का समय बच जाता है. जबकि, रोगी 102 नंबर पर सीधे संपर्क करते हैं. ऐसे में वह कॉल हरनौत पीएचसी को मिलता है. जहां से एम्बुलेंस भेजी जाती है. 16 किलोमीटर जाने में एम्बुलेंस को कम से कम 30 मिनट लग जाते हैं. जबकि, हरनौत बाजार में जाम रहने पर यह समय और बढ़ जाता है. ऐसे में हर माह चार से पांच लोग अब भी निजी वाहन से ही अस्पताल पहुंचते हैं. तेलमर की राधा देवी ने बताया के अप्रैल माह में प्रसव के लिए 102 नंबर डायल किया. एम्बुलेंस आने की खबर भी मिल गयी. लेकिन, तब तक प्रसव दर्द बढ़ने लगा. ऐसे में तुरंत निजी वाहन से रोगी को हरनौत ले गए.पीएचसी प्रभारी डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि कॉल मिलते ही एम्बुलेंस को भेज दिया जाता है. यहां नहीं रहने पर पास के अस्पताल कल्याणबिगहा से मदद ली जाती है. लेकिन, कई बार रोगी गंभीर हालत को देखते हुए निजी वाहन या टोटो से चले आते हैं. ऐसे रोगी इलाज के समय भाड़ा का बिल दें, तो उन्हें भाड़ा लौटाने की भी व्यवस्था है.

हमार लक्ष्य रोगियों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा व सेवा देना है. लेकिन, बहुत कम लोग ही बिल देते हैं. हाल के दिनों में एम्बुलेंस सेवा में काफी सुधार हुआ है. अब एम्बुलेंस की कोई कमी नहीं है. लेकिन, दूरी व जाम के कारण लेट लतीफी होने की आशंका रहती है. ऐसे में प्रसव वाली महिलाएं समय से पहले ही एम्बुलेंस मंगवा लें. यही बेहतर है.

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