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बिहार | शहरी क्षेत्र के 38 वार्डों में साफ-सफाई का ठेका लेने वाली आउटसोर्सिंग एजेंसियों के दो माह पूरे होने को हैं, लेकिन व्यवस्था बद से बदतर हो गई है. वार्ड संख्या 14 से 51 तक के वार्डों में दोनों आउटसोर्सिंग एजेंसियों को सफाई के लिए हरेक माह करोड़ रुपये निगम से दिया जाता है. लेकिन शायद ही ऐसा कोई चौक-चौराहा या मोहल्ला है. जहां शाम में भी बजबजाती गंदगी नहीं दिखती है. मेयर डॉ. बसुंधरा लाल ने बैठक में दोनों एजेंसियों को चेतावनी दी थी कि समय से सफाई नहीं होने और गंदगी पसरे रहने पर ठेका रद्द कर दिया जाएगा. लेकिन एजेंसी पर इस चेतावनी को कोई असर नहीं रहा. भी शाम तक विभिन्न चौक-चौराहों पर कूड़े का अंबार लगा रहा.
शहर के एमजी रोड पर सिविल सर्जन कांप्लेक्स के पास शाम 4 बजे भी जेसीबी से कूड़ा उठाया जाता रहा. इससे मुख्य सड़क पर यातायात करीब 10 मिनट तक प्रभावित रही. तीन-चार दिन से यहां कचरा पड़ा हुआ था. इसके उठाव होने पर बदबू इस कदर फैला कि आसपास के दुकानदारों को करीब आधे घंटे तक शटर गिराकर रखना पड़ा. जब्बारचक के पास भी यही हाल रहा. एसएम कॉलेज के पास भी दोपहर तीन बजे तक कचरे का उठाव नहीं हुआ है. यहां लड़कियां नाक पर रुमाल रखकर पढ़ने के लिए कोचिंग जाती दिखी. सफाई एजेंसी की एक त्रुटि और सामने आई. वार्ड 21 के पार्षद संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि अभी शहर में डेंगू का कहर जारी है. लोग यत्र-तत्र नारियल पानी पीकर उसे फेंक देते हैं. लेकिन सैंडिस कंपाउंड और कचहरी के पास नारियल की खोली फेंका दिखा. सफाई कर्मचारी इसे नहीं उठा रहे हैं. इसमें पानी जमा होने पर लार्वा पनप रहा है. वार्ड 16 के पार्षद प्रतिनिधि राजकुमार यादव ने बताया कि निगम को इन एजेंसियों को ठेका देने से पहले उसके संसाधन की जांच करनी चाहिए. बगैर संसाधन ही एजेंसियां यहां काम कर रही है.
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Harrison
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