बिहार

बिहार में खनन बंद होने के बाद भी बालू की कालाबाजारी चरम पर, आम जनता से दोगुनी कीमत वसूल रहे माफिया

Renuka Sahu
14 Jun 2022 3:53 AM GMT
Even after the mining is stopped in Bihar, the black marketing of sand is at its peak, the mafia is charging double the price from the general public.
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फाइल फोटो 

बिहार में खनन बंद होने के बाद बालू की कालाबाजारी चरम पर है। आलम यह है कि बाजार में बालू की कीमत दोगुनी से ज्यादा हो गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में खनन बंद होने के बाद बालू की कालाबाजारी चरम पर है। आलम यह है कि बाजार में बालू की कीमत दोगुनी से ज्यादा हो गई है। आम जनता बालू के लिए दर-दर भटक रही है। फिर भी उन्हें जरूरत के मुताबिक बालू नहीं मिल पा रहा है। अगर बालू मिल भी रहा है तो इसके लिए उन्हें दोगुनी से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है।

इस समय बिहार में बालू माफिया और बिचौलियों की बल्ले-बल्ले हो रही है। वे जरूरतमंदों से मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। इसके पीछे बालू की किल्लत बताई जा रही है। हालांकि सरकार का दावा है कि सभी जिलों में बालू के पर्याप्त भंडार हैं। कहीं कोई दिक्कत नहीं है।
बिहार में हर महीने औसतन 4 से 5 करोड़ घनफीट बालू की खपत होती है। इस आधार पर विभाग ने कम से कम 16 करोड़ घनफीट बालू के स्टॉक की योजना बनाई। इसके बाद भी सूबे में न तो अवैध खनन पूरी तरह से बंद हो पाया और न ही बालाबाजारी रुक पाई। सूबे में बड़े पैमाने पर बालू का अवैध कारोबार हो रहा है। कारोबारी खुलेआम बालू का अवैध खनन कर रहे हैं और फिर उसे मनमाने दाम पर लोगों को बेच रहे हैं।
राजधानी पटना समेत तमाम जिलों में बालू के लिए लोग बाजार में भटक रहे हैं। कोर्ट के निर्देश के तहत इस साल एक जून से ही सूबे में बालू का खनन बंद कर दिया गया। कोर्ट के आदेश के बाद नए सिरे से बालू घाटों की बंदोबस्ती होनी है। हालांकि एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) के प्रावधानों के तहत बिहार में एक जुलाई से 30 सितंबर तक नदियों में बालू का खनन नहीं होगा। यह मानसून का समय होता है और इस दौरान नदियों में काफी होने के चलते खनन कार्य बंद रहता है। ऐसे में 3 महीने तक बालू का खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध रहता है। इसलिए जरूरतमंदों को पहले के स्टॉक से ही बालू की आपूर्ति की जाती है।
100 घनफीट बालू के लिए वसूल रहे 8000 रुपये
बिहार में अभी 100 घनफीट बालू के लिए बिचौलिए 8000 रुपये तक वसूल रहे हैं, जबकि इसकी औसत कीमत 3500 से 4000 रुपये ही है। यानी कि लोगों से दोगुने दाम वसूले जा रहे हैं। हालांकि अलग-अलग जिलों में बालू की कीमत भी अलग-अलग तय है। इसमें परिवहन की लागत आदि को ध्यान रखकर दाम तय किए जाते हैं।
दो साल पहले तक राज्य के 24 जिलों में बालू का खनन हो रहा था। बाद में यह सिमटकर एक तिहाई ही रह गया और केवल 8 जिलों में बालू का खनन होने लगा। बाद में बालू खनन वाले जिलों की संख्या बढ़कर 16 हो गई। अब राज्य सरकार पूरे सूबे में बालू खनन की तैयारी कर रही है। इसके लिए सभी जिलों में बालू घाटों के बंदोबस्ती की योजना बनाई गई है। सभी जिलों में बालू की उपलब्धता को लेकर विभाग ने सर्वे रिपोर्ट तैयार की है। इसी को आधार बनाकर पूरे प्रदेश में बालू घाटों की बंदोबस्ती होगी।
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