पटना न्यूज़: बिहार के उद्यमी राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (एनपीसी) की सेवाओं का लाभ नहीं उठा रहे. केंद्रीय उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल के अनुसार बिहार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के 37 हजार से ज्यादा उद्योग निबंधित हैं लेकिन एक भी यूनिट ने एनपीसी की दी जा रही सेवाओं का लाभ नहीं उठाया, जबकि देश के दूसरे राज्यों के कारोबारी एनपीसी का लाभ उठा रहे हैं.
एनपीसी के एमएसएमई-कम्पटीटीवनेस लीन (एमसीएलएस) योजना का दूसरा चरण जून 2023 से शुरू हो चुका है. इस योजना के तहत राज्य के उद्योगों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों से अध्ययन कराया जाता है. जरूरी तकनीकी सलाह दी जाती है. अध्ययन आदि के लिए विशेषज्ञों के शुल्क का 90 से 95 प्रतिशत हिस्सा एनपीसी खुद उठाती है. बावजूद इसके बिहारी उद्यमी इसका फायदा नहीं ले रहे हैं. पटना में एनपीसी के क्षेत्रीय निदेशक जेके सिंह ने बताया कि एमसीएलएस योजना के पहले चरण में काफी प्रयास के बावजूद एक भी उद्योग ने इसका फायदा नहीं उठाया.
योजना के तहत विशेषज्ञों की सहायता लेने वाले उद्योगों की उत्पादकता 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ने की शर्त होती है. एनपीसी विशेषज्ञों की फीस तभी देता है, जब उत्पादकता में दस प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो. जानकारों के अनुसार आमतौर पर 15 से 20 प्रतिशत तक उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है.
● निबंधन कराने वाले उद्यमी ले सकते हैं परिषद की सहायता
ऐसे करें संपर्क
योजना का लाभ उठाने के लिए उद्यमियों को पटना स्थित एनपीसी कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा उद्यमी 0612-2558311 पर भी संपर्क कर सकते हैं.
गुजरात में सौ ग्रुप तैयार
एक तरफ एमसीएलएस योजना के लिए बिहार में एक भी ग्रुप तैयार नहीं हो सका है. वहीं दूसरी तरफ गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण के राज्यों में योजना के दूसरे चरण में सौ से ज्यादा ग्रुप तैयार हो गए हैं. वहां के उद्यमी योजना का खूब लाभ उठा रहे हैं.
जमीनी स्तर पर करें काम
बीआईए के अध्यक्ष अरुण अग्रवाल कहते हैं कि उत्पादकता बढ़ाने में एनपीसी की अच्छी भूमिका हो सकती है, लेकिन इसके लिए संगठन को जमीनी स्तर पर काम करना होगा. उद्योगों तक संगठन की पहुंच नहीं है. जिले के बाहर चलने वाले उद्योगों तक प्रचार-प्रसार के तहत जाना होगा. इसके अलावा उद्योगों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए ली जाने वाली जानकारी का दुरुपयोग नहीं होगा, इसका भरोसा भी दिलाना होगा.