बिहार

भ्रूण प्रत्यारोपण से बढ़ेगा उन्नत नस्ल की देसी गायों का कुनबा

Admin Delhi 1
7 July 2023 7:15 AM GMT
भ्रूण प्रत्यारोपण से बढ़ेगा उन्नत नस्ल की देसी गायों का कुनबा
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बक्सर न्यूज़: बिहार में भ्रूण प्रत्यारोपण से उन्नत नस्ल की देसी गायों का कुनबा बढ़ेगा. बिहार पशु विज्ञान विवि के चिकित्सकों की देखरेख में यह काम चल रहा है. एमओईटी के बाद अब आईवीएफ तकनीक से भी भ्रूण प्रत्यारोपण शुरू कर दिया गया है.

इस तकनीक से साहीवाल नस्ल की दो गायों में प्रत्यारोपण सफल रहा है. इससे संस्थान के वैज्ञानिक उत्साहित हैं. दरअसल, सरकार का लक्ष्य देसी गायों की उन्नत नस्ल को बढ़ावा देना है. पहले चरण में साहीवाल, लाल सिंधी और बछौर नस्ल की गाय की संख्या बढ़ाने का लक्ष्य है. साहीवाल उत्तर भारत, लाल सिंधी पश्चिम भारत और बछौर बिहार के समस्तीपुर इलाके की गाय है. तीन साल में करीब 461 भ्रूण तैयार करने और 286 बछिया/बछड़े के जन्म का लक्ष्य रखा गया है. पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह, डीन डॉ. जेके प्रसाद की देखरेख में डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. दुष्यंत यादव आदि चिकित्सकों की एक टीम इस काम में जुटी है.

टीम का नेतृत्व कर रहे वेटनरी फिजियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि आईवीएफ लैब बनने के बाद इस काम में और तेजी आएगी. आईवीएफ तकनीक से भ्रूण प्रत्यारोपण के लिए संस्थान को दो माह पहले इंक्यूबेटर मिला है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देसी गायों की नस्ल तैयार की जा रही है. संस्थान के वैज्ञानिकों को इसके लिए केरल में प्रशिक्षण दिलाया गया. उन गायों को बढ़ावा देने का लक्ष्य है जो ज्यादा दूध देने वाली और अधिक प्रतिरोधक क्षमता वाली हैं.

यह है आईवीएफ तकनीक

आईवीएफ तकनीक का प्रयोग अभी तक मनुष्यों के लिए होता था. अब जानवरों में भी इसका प्रयोग हो रहा है. आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक में उन्नत नस्ल के सांड़ के सीमेन और अच्छी नस्ल की गाय के ओवम को बाहर निकालकर तापमान को नियंत्रित करते हुए भ्रूण तैयार किया जाता है. इसमें बेंचटॉप ट्राईगैस इंक्यूबेटर की मदद ली जाती है. उसके बाद सरोगेसी गाय में भ्रूण प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. जिससे परखनली बछिया का जन्म होता है.

अब ज्यादा बछिया पैदा होंगी

डॉ. प्रमोद ने बताया कि आईवीएफ तकनीक का प्रयोग बिहार में पहली बार किया गया है. दो गायों में यह सफल रहा है. पुरानी एमओईटी (मल्टीपल ओवेलेशन इंब्रॉय ट्रांसफर) तकनीक से कम बछिया पैदा हो सकती थी. विश्वविद्यालय में एमओईटी से अब तक तीन नर और तीन मादा का जन्म हो चुका है. आईवीएफ तकनीक से एक साथ कई गायों में भ्रूण प्रत्यारोपण किया जा सकता है. इसलिए इस तकनीक की मदद से कम समय में ज्यादा बछिया पैदा कराई जा सकती है.

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