पटना: सूबे में पटना, वैशाली और समस्तीपुर जिला सबसे अधिक वायु प्रदूषण फैला रहे हैं. आईआईटी दिल्ली के अध्ययन रिपोर्ट में सूबे के 8 जिला को हॉट-स्पॉट जिला के रूप में चिह्नित किया गया है. तीनों जीला में पीएम2.5 यानी महीन धूलकण की मात्रा सूबे में सबसे अधिक पायी गयी है. इन जिला में आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्र में हो रही गतिविधियों के कारण सूबे के वायु प्रदूषण में 37 फीसदी योगदान पाया गया है.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने आईआईटी दिल्ली से राज्य स्तर पर वायु प्रदूषण के श्रोतों पर अध्ययन कराया है. अध्ययन में के बाद जारी वर्ष 2023-24 के वार्षिक रिपोर्ट में प्रस्तुत किया गया. इसमें छह प्रमुख श्रोत की पहचान की गई है. जिसमें प्रत्येक क्षेत्र की वायु प्रदूषण में कितनी हिस्सेदारी है उसे स्पष्ट किया गया है. सूबे में 8 जिला को हॉट-स्पॉट के रूप में पहचान की गई है. पटना, वैशाली और समस्तीपुर जिले में अभी भी घरेलू उपयोग के लिए बायोमॉस जिसमें सूखी टहनियां, जलावन, गाय के गोबर के उपले का अत्यधिक जलाया जा रहा है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में मिट्टी के तेल का उपयोग और कोयले को जलाया जा रहा है.
परिवहन और ठोस कचरा जलने से बढ़ा प्रदूषण बिहार के वायु प्रदूषण में परिवहन क्षेत्र और ठोस कचरा का 20 फीसदी योगदान है. खास बात यह है कि परिवहन से बढ़ रहे वायु प्रदूषण के मामले में बिहार में सिर्फ पटना जिला को हॅाट-स्पॉट घोषित किया गया है.
वहीं, ठोस कचरा जलाने के मामले में पटना और पूर्वी समस्तीपुर जिला को चिह्नित किया गया है. पटना के पूर्व मध्य, उत्तरी एवं पश्चिमी सीमा क्षेत्र में मध्यम और लघु उद्योग से वायु प्रदूषण फैल रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन क्षेत्रों को हॉट-स्पॉट के रूप में चिह्नित किया है.
श्रोत प्रदूषक तत्व वायु प्रदूषण में योगदान
घरेलू और वाणिज्यिक क्षेत्र पीएम2.5 37 फीसदी
कृषि क्षेत्र पीएम2.5 13 फीसदी
परिवहन क्षेत्र पीएम2.5 10 फीसदी
ठोस कचरा जलाना पीएम2.5 10 फीसदी
मध्यम एवं लघु उद्योग पीएम2.5 7 फीसदी
बिजली क्षेत्र एवं बड़े उद्योग पीएम 2.5 7 फीसदी
सूबे के हॉट-स्पॉट वाले जिले
पटना, वैशाली, समस्तीपुर, सहरसा, पूर्णियां,भागलपुर, रोहतास, बांका