पटना : वैश्विक महामारी कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न कर दिया. भारत के कई पड़ोसी देश संकट के दौर से गुजर रहे हैं. श्रीलंका जैसे देश में तो खाद्यान्न संकट है. भारत में भी ऐसी विकट परिस्थिति उत्पन्न ना हो (economic crisis in india) इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने राज्यों को सुधारात्मक कदम उठाने को कहा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में प्रपत्र के जरिए राज्यों में वित्तीय तनाव को लेकर चिंता व्यक्त की है. राज्यों से जरूरी कदम उठाने को कहा है. सबसे अधिक कर्जदार पांच राज्यों के लिए खतरे की घंटी है. रिजर्व बैंक ने कुछ राज्यों के आंकलन को खारिज करते हुए कहा है कि वह अपने खर्चे में कटौती करें और आय में वृद्धि के लिए प्रयत्न करें...
लगातार बढ़ रहा है डेब्ट जीडीपी अनुपात : डेब्ट जीडीपी अनुपात 30% के आसपास होना चाहिए, जबकि बिहार का आंकड़ा 'लक्ष्मण रेखा' से ज्यादा है. 2020-21 में बिहार का डेब्ट जीडीपी 36.7% था, जबकि 2021-22 में डेब्ट जीडीपी बढ़कर 38.6% हो गया. 2022-23 में अनुमानित डेब्ट जीडीपी 38.7% है. राज्य की अर्थव्यवस्था से ज्यादा तेजी से बकाया कर्ज बढ़ (RBI Alert Bihar For Debt Burden) रहा है. राज्य की इकॉनमी इस साल 9.7 फीसदी बढ़कर 7.45 लाख करोड़ रुपये पहुंचने का अनुमान है. बजट में इस साल बकाया कर्ज 2.88 लाख करोड़ रहने का अनुमान है, जो 2018-19 से 70 फीसदी अधिक है.
इसके अलावा साल 2020-21 में बिहार का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 11.3% हो गया जबकि कोरोना काल में बिहार जैसे राज्यों को 4.5% रखने की अनुमति दी गई थी. स्टेट रिवेन्यू का कितना प्रतिशत इंटरेस्ट में जा रहा है इस ओर भी आरबीआई ने ध्यान आकृष्ट कराया है. इंटरेस्ट कभी भी कुल राजस्व का 10% से ज्यादा नहीं होना चाहिए, बिहार का आंकड़ा इसी के आसपास है.
बिहार जैसे डेवलपिंग स्टेट के लिए कर्जदार होना चिंता का विषय नहीं है. कर्ज की बदौलत ही हम विकास कर रहे हैं. लेकिन बिहार सरकार को चाहिए कि उद्योग के क्षेत्र में विकास करें. उसे कृषि से लिंक किया जाए ताकि लोगों को रोजगार भी मिले और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी ताकत मिले.'' - डॉक्टर वरना गांगुली, अर्थशास्त्री''बिहार जैसे राज्यों के लिए हालात चिंताजनक नहीं है. बिहार जैसे विकासशील राज्यों को लोन लेने की जरूरत है. डेब्ट जीडीपी अनुपात बिल्कुल चिंताजनक नहीं है. 15वें वित्त आयोग में बिहार जैसे राज्यों के लिए जो पैमाना स्थापित किया था हम उसके करीब हैं. बिहार में श्रीलंका जैसी स्थिति नहीं होने वाली है. बिहार का इंटरेस्ट पेमेंट ज्यादा नहीं है, लिहाजा अर्थव्यवस्था के लिए खतरा नहीं है. बिहार का इंटरेस्ट पेमेंट 10% से भी कम है.'