बक्सर: विभागीय उपेक्षा के कारण डुमरांव का नलकूप कार्यालय कबाड़खाना में तब्दील हो चुका है. विभाग के बड़े हाकिम भी कार्यालय की ओर झांकने तक नहीं आते है. किसान अपनी समस्या लेकर आते है. लेकिन किसानों की फरियाद सुनने वाला कोई हाकिम मौजूद नहीं रहता. निराश होकर किसान अपने घरों को लौट जाते है.
यह स्थिति कार्यालय की कार्यशैली का पोल खोल रही है. विभागीय उपेक्षा के कारण डुमरांव नलकूप के सहायक अभियंता कार्यालय का स्वरुप मिटने के कगार पर पहुंच चुका है. दो कमरों वाला कार्यालय डुमरांव-बिक्रमगंज पथ के किनारे अवस्थित है. पहली नजर में यह खंडहरनुमा पुराना भवन के रुप में नजर आता है. अंदर जाने पर दो कर्मचारी बैठे मिलते है. सहायक अभियंता का चैम्बर देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यहां महीनों से साहब का आगमन नहीं हुआ है. जर्जर भवन के परिसर में झाड़ी उग आयी है. कर्मचारी बताते है का बरसात में दोनों कमरों से पानी की बूंदे टपकती रहती है.
शौचालय व पानी के लिए चापाकल भी नहीं डुमरांव के नलकूप कार्यालय में सहायक अभियंता विनय कुमार प्रसाद, जेई श्याम कुमार, दो लिपिक, एक महिला पिऊन और पांच नलकूप चालक व चौकीदार पदस्थापित है. यहां दो से तीन कर्मी मौजूद मिलते है. साहब कब आएंगे, किसी को पता नहीं रहता. परिसर में बुनियादी सुविधा भी मयस्सर नहीं है. कर्मियों ने बताया कि परिसर में शौचालय और पानी के लिए चापाकल भी नहीं है. डुमरांव के चारों प्रखंडों में पुराना पचास सरकारी नलकूप है. लेकिन विभाग की अनदेखी के कारण आधा से अधिक नलकूप बंद पड़े हुए है. नये नलकूप बिजली कनेक्शन के अभाव में बंद है. इधर सहायक अभियंता विनय कुमार प्रसाद से संपर्क करने की कोशिश की गई. लेकिन, फोन रिसीव नहीं हुआ.