बिहार

जिले में रैक प्वाइंट नहीं रहने से भी उर्वरक की हो जाती है किल्लत

Admin Delhi 1
7 July 2023 7:18 AM GMT
जिले में रैक प्वाइंट नहीं रहने से भी उर्वरक की हो जाती है किल्लत
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मधुबनी न्यूज़: जिले में एक भी उर्वरक का रैंक प्वाइंट नहीं है. रैक प्वाइंट नहीं रहने की वजह से हर वर्ष पिक सीजन में उर्वरक की किल्लत हो जाती है. 21 प्रखंडों के इस जिले में रैक नहीं लगने से उर्वरक के लिए इंतजार करना पड़ता है. मधुबनी में उर्वरक समस्तीपुर और सीतामढ़ी रैक प्वाइंट से आता है. समय से भी अगर रैक लगता है तो करीब एक सप्ताह का समय गोदाम तक पहुंचते-पहुंचते उर्वरक को लग जाता है. कृषि विभाग को आवंटन की जानकारी मिलने के बाद प्रखंडों में इसका उप आवंटन किया जाता है, मगर इसमें देरी से अफरातफरी मच जाती है. किसान उर्वरक की किल्लत होते देख बाहर से अधिक दामों पर यूरिया व अन्य उर्वरक खरीदने को विवश हैं. बीते करीब तीन-चार वर्षों से खरीफ सीजन में उर्वरक की किल्लत हो जाती है. कई बार मधुबनी के उर्वरक से नेपाल में फसलें लहलहाती हैं, मगर यहां के किसान यूरिया के लिए भटकते रहते हैं. ऐसे में यूरिया व अन्य उर्वरकों की इस कृतिम किल्लत को देखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट हैं. बीते वर्ष भी लगातार छापेमारी में कई जगहों पर यूरिया के स्टॉक पाये गये .

2021 से रैक प्वाइंट के लिए प्रयास जारी

जिले में वर्ष 2021 से ही रैक प्वाइंट के लिए विभागीय पत्राचार जारी है. तीन से चार जगहों पर उर्वरक के रैक लगाने संबंधी पत्राचार हुआ, पर यह फाइलों में ही दबी है. हालांकि बीते वर्ष झंझारपुर में रैक प्वाइंट बनाने पर सहमति जताई गई है. अबतक कई बार रिमांइडर भी भेजा गया है, मगर अबतक यह बात केवल फाइलों में ही सिमटकर रह गयी है. रैक प्वाइंट जिले में हो जाने पर उर्वरक समय पर किसानों को उपलब्ध हो जाएगा. जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अन्य जिलों से उर्वरक मंगाने में थोक व खुदरा विक्रेताओं को परेशानी होती है. अधिक ढुलाई चार्ज लग जाने की वजह से कंपनी भी अपने हाथ खड़ा कर देती है.

● समस्तीपुर और सीतामढ़ी रैक प्वाइंट से जिले में पहुंचती है खाद

● जिले में पहुंचने और उसके आवंटन में लग जाता है अधिक समय

जून-जुलाई माह में कम मिलता आवंटन

जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार चौधरी ने बताया कि खरीफ मौसम के लिए जून और जुलाई माह पिक सीजन माना जाता है. मगर उर्वरक की कंपनियां एक माह विलंब से उर्वरक भेजती है. जानकारी के मुताबिक बीते वर्ष भी जुलाई का आवंटन अगस्त में आया. मजबूरन किसानों ने अधिक मूल्य पर यूरिया खरीदी. किसान सीताराम पांडेय, राजेश झा, शनिचर मंडल आदि ने बताया कि धान के पौधे को समय से यूरिया चाहिए नहीं मिलने पर किसान मजबूरन अधिक मूल्य देकर यूरिया खरीदने को विवश हो जाते हैं.

586 थोक व खुदरा उर्वरक विक्रेता हैं जिले में

जिले में 586 खुदरा व थोक उर्वरक विक्रेता हैं. इसमें 22 थोक विक्रेता और 564 खुदरा विक्रेता शामिल हैं. इन्हीं को थोक विक्रेता अपने विभिन्न कंपनियों के उर्वरक का आवंटन देते हैं, इसके बाद खुदरा विक्रेता सीधे किसानों को पॉश मशीन के माध्यम से उर्वरक की बिक्री करते हैं. विभिन्न प्रखंडों में इसके अलावा विस्कोमान, पैक्स और अन्य समूहों के द्वारा भी उर्वरक बेची जाती है. जिले में 586 खुदरा व थोक उर्वरक विक्रेता रहने की वजह से पिक सीजन में बहुत कम ही सभी विक्रेताओं को आवंटन मिलता है, ऐसे में किसानों की डिमांड पूरी नहीं होती है.

जिले में फिलहाल उर्वरक के लिए रैक प्वाइंट बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है. लगातार रिमांइडर भी किया जा रहा है. अगर रैक प्वाइंट जिले में बन जाता है तो समय से किसानों को उर्वरक उपलब्ध हो जाएगा.

-ललन कुमार चौधरी, जिला कृषि पदाधिकारी, मधुबनी.

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