बेगूसराय: महात्मा गांधी नरेगा में राज्यभर में कराए जा रहे विभिन्न कार्यों के एवज में पैसे का भुगतान बंद है. यह हाल जून के अंतिम सप्ताह से ही है. केन्द्र सरकार द्वारा पैसा आवंटन नहीं होने से यह समस्या खड़ी हुई है. ग्रामीण विकास विभाग की मानें तो 25-26 जून को श्रमिकों के खाते में मनरेगा की मजदूरी भेजी गई थी. इस मद में राशि खत्म होने के कगार पर तभी पहुंच गई और उसके बाद से समस्या बढ़ गई है. विभागीय जानकारी के मुताबिक मौजूदा वित्तीय वर्ष में केन्द्र सरकार ने बिहार को 17 करोड़ मानव दिवस की स्वीकृति दी है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत श्रमिकों को काम मुहैया कराने के लिए 2023-24 में करीब 2132 करोड़ केन्द्र सरकार ने राशि दी थी. शत प्रतिशत केन्द्र के पैसे से मजदूरों का भुगतान होता है. जुलाई आरंभ तक ही बिहार में 11 करोड़ मानव दिवस सृजित कर लिए गए थे और 26 जुलाई तक मजदूरी भुगतान के लिए महज 90 करोड़ रुपए शेष रह गए थे. केन्द्र सरकार पैसे का आवंटन तीन श्रेणियों में करती है. तीनों श्रेणियों की राशि लगभग समाप्त हो चुकी है और एक माह से मनरेगा के तहत श्रमिकों से काम तो लिये जा रहे हैं लेकिन उनका भुगतान लंबित हो रहा है. सूत्रों की मानें तो करीब 750 करोड़ रुपए की मजदूरी का भुगतान बकाया हो गया है. ग्रामीण विकास विभाग ने इसको लेकर केन्द्र सरकार को दो-दो बार जानकारी दी है लेकिन फिलहाल दूसरे राउंड का आवंटन नहीं मिलने से स्थिति विकराल होती जा रही है. गौरतलब है कि पिछले साल भी ऐसी ही स्थिति का सामना राज्य को करना पड़ा था. करीब 150 दिन तब राशि के अभाव में भुगतान लंबित रहा था.
श्रमिकों की उदासीनता सामने आने लगी
मनरेगा में कराए जा रहे विभिन्न कार्यों में श्रमिकों की अरुचि दिखने लगी है. कारण है, काम के बदले मजदूरी का भुगतान नहीं होना. मौजूदा वित्तीय वर्ष में एक दिन में सबसे अधिक करीब 15 लाख लोगों को एक दिन में कार्य दिया गया है. औसतन 8 से 9 लाख श्रमिक मनरेगा में काम कर रहे हैं. हालांकि महज 3 लाख मजदूरों ने काम किया है. ये आंकड़े बता रहे कि मजदूरी लंबित होने का व्यापक असर मनरेगा के कार्यों पर पड़ने लगा है.