बिहार
बिहार में सूखे से मचा हाहाकार, 10 दिन और नहीं हुई बारिश तो किसानों के डूब जाएंगे 81 अरब रुपये
Renuka Sahu
26 July 2022 2:02 AM GMT
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फाइल फोटो
बिहार में इस मॉनसूनी सीजन कम बारिश होने से राज्य में सूखे का संकट गहराता जा रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में इस मॉनसूनी सीजन कम बारिश होने से राज्य में सूखे का संकट गहराता जा रहा है। सूबे में अगर 10 दिन और अच्छी बारिश नहीं हुई तो, धान की फसल बर्बाद हो जाएगी। किसानों को 81 अरब 26 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। ऐसे में अन्नदाता पर आर्थिक बोझ बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।
बिहार में अभी 35 लाख 12 हजार हेक्टयेर के क्षेत्र में धान की रोपनी का लक्ष्य निर्धारित है। इसमें से 11 लाख 31 हजार हेक्टेयर में ही रोपनी हो सकी है। इस प्रकार, अभी 24 लाख हेक्टेयर में रोपनी नहीं हो पाई है। यह कुल लक्ष्य का 68 फीसदी है। यानी कि अभी तक महज 31.4 फीसदी ही रोपनी हुई है। पिछले साल से तुलना करें तो करीब पांच लाख हेक्टेयर में कम रोपनी हुई है। 2021 में जुलाई अंत तक 16 लाख हेक्टेयर में रोपनी की जा चुकी थी।
वहीं, राज्य में चावल की उत्पादकता का लक्ष्य 24.90 प्रति क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार वर्तमान सूखे के संकट को देखा जाए और प्रति क्विंटल प्रति हेक्टेयर चावल के उत्पादन में 68 फीसदी की भी कमी होती है तो यह 16.93 प्रति क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी। यानी कि 1693 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में कमी आएगी। एक किलोग्राम चावल का बाजार मूल्य 20 रुपये है तो किसान को 33,860 रुपये प्रति हेक्टेयर का सीधे आर्थिक नुकसान होगा।
कृषि विभाग के मुताबिक साल 2022-23 में राज्य में 86.09 लाख मीट्रिक टन धान उत्पादन का लक्ष्य है। सूखे के वर्तमान संकट का लंबे समय तक बने रहने से इस लक्ष्य की प्राप्ति में परेशानी होगी। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसे हाल में धान का उत्पादन महज 40 से 45 लाख मीट्रिक टन तक ही सीमित हो सकता है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार 15 अगस्त तक धान की लेट वेरायटी की रोपनी होती है, अगर ये सामान्य रही तो नुकसान के खतरे में कमी आ जाएगी।
सीमांत किसानों को होगा ज्यादा नुकसान
सूखे के वर्तमान संकट के कारण सीमांत और लघु किसानों को अधिक नुकसान होगा। इनमें भी सबसे अधिक सीमांत किसानों को नुकसान होगा। राज्य में सबसे अधिक 44.40 लाख सीमांत किसान हैं जो एक हेक्टेयर से भी कम जोत वाले हैं।
वहीं, राज्य में 13.06 लाख लघु किसान हैं, जिनके पास 1 से 2 हेक्टेयर की जोत है। बड़े जोत वाले किसानों को अपेक्षाकृत कम नुकसान होगा, क्योंकि इनमें अधिकतर के पास पटवन की निजी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। राज्य में दो हेक्टेयर या पांच एकड़ से अधिक में खेती करने वाले 6.15 लाख किसान हैं। इस प्रकार, 91 फीसदी लघु एवं सीमांत किसान हैं जबकि मात्र 9 फीसदी ही दो हेक्टेयर या उससे अधिक की जोत वाले किसान हैं।
कृषि विभाग के उप निदेशक अनिल कुमार झा के मुताबिक मॉनसून के 20 जुलाई के बाद सक्रिय हो जाने से नुकसान होने की आशंका कम हो गई है। इस साल एक सामान्य खरीफ की अपेक्षा की जा सकती है।
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