बिहार

मुजफ्फरपुर में दर्जन पेंशनर डायलिसिस पर, 4500 पेंशनभोगियों की पेंशन अटकी पड़ी

Admindelhi1
17 April 2024 5:23 AM GMT
मुजफ्फरपुर में दर्जन पेंशनर डायलिसिस पर, 4500 पेंशनभोगियों की पेंशन अटकी पड़ी
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राज्य सरकार की तरफ से विश्वविद्यालयों का खाता फ्रीज करने के कारण पेंशनभोगियों के खाते में पेंशन नहीं भेजी जा रही

नालंदा: बीआरएबीयू के 4500 पेंशनभोगियों की पेंशन रुक गई है. इससे उनका इलाज कराना मुहाल हो गया है. उनका कहना है कि पैसे नहीं आने से हम अपनी दवा और जांच भी नहीं करा पा रहे हैं. राज्य सरकार की तरफ से विश्वविद्यालयों का खाता फ्रीज करने के कारण पेंशनभोगियों के खाते में पेंशन नहीं भेजी जा रही है.

बीआरएबीयू के पेंशन अफसर डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि विवि में हर महीने एक करोड़ से अधिक पेंशन राशि जमा की जाती है. खाता फ्रीज होने से राशि नहीं जा रही है. पीजी के रिटायर शिक्षक प्रो. आरसी सिन्हा ने बताया कि उनकी हर महीने डायलिसिस होती है. सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज से रिटायर प्रो. कृष्ण मुरारी प्रसाद ने बताया कि वे और उनकी पत्नी काफी बीमार हैं. हर महीने 30 हजार रुपए इलाज पर खर्च होता है. पेंशनर समाज के जिलाध्यक्ष फतेह बहादुर सिंह ने बताया कि मुजफ्फरपुर में दो दर्जन पेंशनरों की डायलिसिस चलती है.

पेंशनर समाज करेगा आंदोलन पेंशनर समाज के जिलाध्यक्ष फतेह बहादुर सिंह ने बताया कि मुजफ्फरपुर में दो दर्जन पेंशनरों की डायलिसिस चलती है. उन्होंने कहा कि जल्द इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो हमलेाग आंदोलन शुरू करेंगे. पेंशनर समाज के प्रदेश महासचिव कृष्ण मोहन प्रसाद ने कहा कि सरकार जल्द पेंशनरों की पेंशन दिलावाने का काम करे.

इनकम टैक्स नहीं जमा, देना होगा जुर्माना विश्वविद्यलायों के बैंक खाते फ्रीज होने से पेंशनभोगियों के इनकम टैक्स भी जमा नहीं हुए हैं. बीआरएबीयू से जुड़े कर्मियों ने बताया कि पेंशन से ही इनकम टैक्स की राशि काटकर जमा की जाती है, लेकिन वह नहीं हो सकी. इस कारण पेंशनधारियों को दो प्रतिशत की पेनाल्टी देनी होगी. पेंशनरों ने कहा कि बिना वजह हमलोग आयकर की काली सूची में आ गये. बिना गलती के ही पेंशनर आर्थिक दंड भुगतेंगे.

हर महीने तारीख तक मिल जानी है पेंशन: पेंशनर समाज के नेताओं ने बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार सभी पेंशनरों को हर महीने की तारीख तक पेंशन मिल जानी चाहिए, लेकिन खाता फ्रीज होने से इस आदेश का भी पालन नहीं हो पा रहा है. पेंशनरों में प्रोफेसर से लेकर चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी तक शामिल हैं. राज्य सरकार को इस बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए.

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