भागलपुर न्यूज़: अप्रैल 2020 से अब तक कोरोना की आधा दर्जन लहर आ चुकी है. लेकिन सबसे ज्यादा तबाही दूसरे लहर ने मचाई है, जो अप्रैल 2021 से शुरू हुई थी. इस लहर में जिले के 200 से अधिक लोग अपनी जान गंवा बैठे तो हजारों लोगों के फेफड़े संक्रमितहो गए. जिन्हें कोरोना ने गंभीर रूप से संक्रमित किया था उनके फेफड़ों का आकार भी छोटा हो गया है. इससे उनके फेफड़े क्षमता के मुताबिक ऑक्सीजन अवशोषित नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे मरीजों को घर पर ही ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है.
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डॉ. शांतनु घोष बताते हैं कि विभाग की ओपीडी में रोजाना करीब 90 से 100 मरीज इलाज को आते हैं. इनमें 10 से 12 मरीज पोस्ट कोविड की दिक्कतों से जुड़े होते हैं. इनमें खांसी और सांस फूलने जैसे लक्षण हैं. उन्होंने बताया कि कोरोना का डेल्टा व डेल्टा वायरस उन मरीजों पर ज्यादा असर छोड़ गया, जिन्हें कोरोना का गंभीर संक्रमण हुआ था. जिसके कारण फेफड़े की आंतरिक दीवार पर असर हुआ है. कुछ मरीजों में लंग्स फाइब्रोसिस भी हो गया. जिससे कि संक्रमित के फेफड़े के एक हिस्से की क्षमता कम हो गई. ऐसे में ऐसे मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सक से अपने सेहत की जांच कराते रहना चाहिए.
लंग्स फाइब्रोसिस के लक्षण
● जल्दी-जल्दी सांस लेना, सांस लेने पर जोर देना. जल्दी ठीक न होने वाली सूखी खांसी होना.
● सोने के बावजूद थकान का महसूस होना. एक्सरसाइज करते वक्त सांस का फूलना.
● क्लबिंग, अंगुलियों एवं पैर के अंगूठे का अलग-अलग दिखना.
● सोइनोसिस, गोरे रंग वालों की त्वचा नीला दिखना.
37 मरीजों का इलाज जारी
कोरोना के संक्रमण की चपेट में आने से अपने फेफड़े को कमजोर कर बैठे ऐसे 37 मरीजों का इलाज मायागंज अस्पताल में चल रहा है. ये मरीज कोविड संक्रमण के दौरान बेहद गंभीर हालत में पहुंच गए थे. इलाज के बाद भी ये पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सके. उनके फेफड़ों के एल्बुलाई और वाल्व सिकुड़ गए हैें. इससे खून में ऑक्सीजन की कमी हो जा रही है.