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पटना: भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने मंगलवार को मणिपुर के जातीय संघर्ष की तुलना गुजरात के सांप्रदायिक दंगों से की। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। भट्टाचार्य ने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि पूर्वाेत्तर राज्य मणिपुर में "जातीय सफाए की राजनीति" आगामी चुनावों में "एक प्रमुख मुद्दा" बन जाएगी, जैसे 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान 2002 के दंगे चर्चा में रहे थे।
भट्टाचार्य ने आरोप लगाया, "वर्तमान में भाजपा शासित मणिपुर में जो हो रहा है और 2002 में गुजरात में जो हुआ, उसके बीच हम बहुत सारी समानताएं देखते हैं। ऐसा लगता है कि मणिपुर की सरकार मोदी का अनुसरण कर रही है।" उन्होंने हाल ही में वायरल हुए चार मई के वीडियो क्लिप का जिक्र करते हुए कहा, "तब और अब की स्थिति के बीच एक अंतर यह है कि इन दिनों, सोशल मीडिया के प्रसार के साथ, हमें कई चीजें पता चलती हैं, जिन्हें सरकारें दबाना चाहती हैं। इसका एक उदाहरण दो महिलाओं पर हुए अत्याचार का है।"
भट्टाचार्य ने कहा, "मणिपुर में बलात्कार पीड़ितों में से एक की शादी कारगिल में लड़ने वाले एक सैनिक से हुई थी। दूसरी बूढ़ी महिला, जिसे जिंदा दफनाया गया था, एक स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी थी। यह भाजपा की देशभक्ति का दावा करने के लिए बहुत कुछ है।" उन्होंने कहा, "मणिपुर भीड़ हिंसा की राजनीति का एक जीता जागता उदाहरण है जिसे भाजपा ने देश भर में बढ़ावा दिया है। यह गौरक्षकों द्वारा की गई हत्याओं में भी परिलक्षित होता है।" उन्होंने राज्यसभा से आप सांसद संजय सिंह के निलंबन की भी निंदा की और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की और संसद के अंदर पूरी रात धरना देने वाले सभी लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की।
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