पटना न्यूज़: राज्यभर के 36 हजार प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के रसोई घर जर्जर हो चुके हैं. यानी राज्य के 50 फीसदी स्कूलों के रसोई घर जर्जर हैं. 20 हजार ऐसे विद्यालय है, जहां रसोई घर की स्थिति इतनी खराब है कि वहां मध्याह्न भोजन नहीं बन पाता है. रसोइया को खाना बरामदे पर बनाना पड़ता है. दस हजार ऐसे विद्यालय हैं, जहां रसोई घर के दरवाजे टूट चुके हैं. ऐसे स्कूलों को मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय की ओर से चिह्नित किया गया है. सबसे ज्यादा पटना जिले के 2400 स्कूलों के रसोई घर की स्थिति खराब है. कहीं प्लास्टर गिर रहा है, तो कहीं पर बरसात में छत से पानी टपकता है. ऐेसे में इन स्कूलों में कभी बरामदे तो कभी कक्षा में खाना बनाया जाता है.
यह स्थिति कुछ महीने या एक साल की नहीं हैं बल्कि वर्षों से है. पिछले दस सालों से प्राइमरी और मध्य विद्यालयों के रसोई घर की मरम्मत नहीं हुई है. मरम्मत नहीं होने के कारण रसोई घर की स्थित जर्जर हो चुकी है. बता दें कि निदेशालय की ओर से हाल में सभी जिला शिक्षा कार्यालय से जर्जर रसोई घर वाले स्कूलों की सूची मांगी गई है. अब इन रसोई घर की मरम्मत की प्रक्रिया शुरू होगी.
आठ जिलों में एक हजार से अधिक रसोई घर खराब
कई स्कूलों के रसोई घर जर्जर हालत में हैं. इसकी सूचना मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय को दी गई है. इनकी मरम्मत की बहुत आवश्यकता है. जगह की दिक्कत होने से खाना बाहर बनता है.
- अमित कुमार, डीईओ पटना
● जिला शिक्षा कार्यालय से जर्जर रसोई घर वाले स्कूलों की मांगी गई है सूची
मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय की मानें तो राज्यभर में आठ ऐसे जिले हैं, जहां एक हजार से अधिक विद्यालयों के रसोई घर जर्जर हाल में हैं. राजकीय कन्या मध्य विद्यालय अदालतगंज की बात करें तो खाना बनाने के बाद बाहर खुले परिसर में खाना वितरण किया जाता है. कई स्कूलों में तो किचेन शेड भी नहीं है.