बिहार

अस्पताल में दीदियों को सफाई सौंपने में फंसा रहे पेच

Admindelhi1
22 March 2024 8:19 AM GMT
अस्पताल में दीदियों को सफाई सौंपने में फंसा रहे पेच
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सफाई शुरू करने में महज 20 दिन बचे

सिवान: सदर व अनुमंडल अस्पताल की सफाई व्यवस्था एक अप्रैल से जीविका दीदियों के हाथों सौंपी जाएगी. सफाई शुरू करने में महज 20 दिन बचे हैं. बावजूद इसके जीविका दीदियों का चयन नहीं किया जा सका है. सूत्रों की मानें तो दीदियों के हाथों में सफाई की कमान देने में अधिकारियों की उदासीन रवैये बाधक बन सकती है.

विदित हो कि सदर व अनुमंडल अस्पताल के अलावे स्वास्थ्य विभाग की नर्सिंग शैक्षणिक संस्थानों में साफ-सफाई का कार्य जीविका दीदियों के हाथों कराने का आदेश मिला है. एक अप्रैल से ही इसे लागू करना है. लेकिन, इसे ले स्वास्थ्य विभाग व जीविका के बीच कोई ठोस पहल नहीं हो रही है. मीडिया द्वारा नई व्यवस्था शुरू होने की खबर से जुड़े सवाल पर दोनों विभागों के अधिकारियों ने बातें की है. लेकिन, कार्य को कैसे धरातल पर उतारा जाए, इस पर योजना नहीं बनी है. सूत्रों की मानें तो दोनों विभाग में स्थानीय स्तर पर कोई पत्राचार भी नहीं हुआ है. ऐसे में 20 दिन बाद सफाई की कमान सौंपना आसान नजर नहीं आ रहा है. हालांकि अधिकारी पूछे जाने पर एक अप्रैल से जीविका दीदियों से सफाई कराने की बातें दुहरा रहे हैं. जबकि, करीब दो वर्ष पूर्व के आदेश को अमल में नहीं लाया गया है.

जीविका के डीपीएम ने कहा कि मीडिया से सूचना मिली तो मैंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से संपर्क साधा. तब आदेश के बारे में पता चला. स्वास्थ्य विभाग की ओर से पहल की जाएगी तो जीविका काम शुरू कराएगी. वहीं राज्य स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अजय कुमार ने बताया कि विभाग से इस संबंध में पत्र मिला है. जीविका के अधिकारी से बात हुई है. कार्रवाई की जा रही है. ताकि, आदेश का पालन समय पर हो सके.

● सरकार के निर्देश का पालन कराने में उदासीन बने हैं अधिकारी

● एक से अस्पतालों की सफाई दीदियों के हाथों सौंपने का है निर्देश

अधिकारी बने हैं उदासीन

जिन सरकारी संस्थानों की सफाई जीविका दीदियों से कराने का आदेश मिला. वहां पर वर्तमान में सफाई पर करीब 30 लाख से ज्यादा हर माह खर्च होते हैं. यानी एक वर्ष में करीब 3.60 करोड़ का भुगतान होता है. आरोप है की भुगतान के नाम पर कमीशनखोरी का खेल होता है. दीदियों से सफाई कराने की व्यवस्था शुरू होने पर कमीशनखोरी पर लगाम लग सकता है. ऐसे में अधिकारी उदासीन बने हैं. जो पुरानी व्यवस्था को ही जारी रखना चाहते हैं. बहरहाल 20 दिनों बाद स्पष्ट होगा कि विभाग के आदेश को अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते हैं.

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