पटना: सड़क दुर्घटना ना सिर्फ लोगों की जिंदगी छीन लेती है बल्कि, हमेशा के लिए परिवार की खुशियां भी तबाह कर देती है. कई हंसते खेलते परिवार सड़क दुर्घटना में अपनों को खोने के बाद बिखर जाते हैं. किसी बुजुर्ग के कंधे पर हादसे के शिकार युवक के परिवार की जिम्मेवारी आ जाती है तो मां की मौत से अनाथ बच्चों का लालन-पालन मुश्किल हो जाता है. ऐसी स्थिति में राहत पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा तय मुआवजा यदि प्रभावित परिवार को नहीं मिले तो उनका जीवनयापन और भी दुर्भर हो जाता है. दुर्घटना में जान गवां चुके लोगों के परिजनों से बात करने पर कई कटु तथ्य सामने आए.
बाइपास मलाही पकड़ी के समीप एक बस से कुचलकर अक्टूबर 2020 को भूतनाथ रोड निवासी अमित कुमार (25) की मौत हो गई. वह एक निजी कंपनी में इंजीनियर थे. निजी कंपनी में कार्यरत पिता चंद्र भूषण दिवाकर की कोरोना के दौरान नौकरी छूट गई थी. पूरा परिवार बेटे की कमाई पर निर्भर था. पिता चंद्र भूषण दिवाकर कहते हैं कि घटना के तीन वर्ष बाद भी वे बीमा दुर्घटना के लिए चक्कर काट रहे हैं.
थार सवार ने रौंद दिया था अबतक नहीं मिला मुआवजा
पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र स्थित अटल पथ की सर्विस लेन पर फरवरी 2024 को बहुचर्चित दुर्घटना घटी थी. तेज गति थार चालक ने रेलिंग तोड़ते हुए साइकिल से घर लौट रहे कामाख्या प्रसाद आचार्य (55) को रौंद दिया था. दीघा के मखदुमुपर निवासी कामाख्या प्रसाद आचार्य फिटर का काम करते थे. पूरा परिवार उनकी कमाई पर निर्भर था. अभी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है. बेटे अमरजीत आचार्य ने बताया कि आरोपित के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं हुई है. उन्हें न तो सरकार से मुआवजा और ना ही बीमा का लाभ मिला है.