बिहार
आंगनबाड़ी केंद्र और पोषक क्षेत्र में बच्चों को खिलायी जाएगी कृमि नाशक दवा
Shantanu Roy
1 Nov 2022 5:34 PM GMT
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किशनगंज। बच्चों को कुपोषण से मुक्त तथा रक्त की कमी की समस्या को दूर करने के लिए पेट में कीड़ा मारने की दवा खिलाने का अभियान 07 नवम्बर को चलाया जाएगा। साथ ही इस दौरान जो बच्चा दवा खाने से वंचित रह जाएगा। उन्हें मॉप अप दिवस के मौके पर 11 नवम्बर को दवा खिलाई जाएगी। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि बच्चों के समग्र स्वास्थ्य पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए जिले के सभी विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 1 से 19 वर्ष के सभी बच्चों को अल्बेंडाजोल कृमि नाशक दवा खिलाई जाएगी। कृमि संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर तथा हीमोग्लोबिन स्तर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों में शारीरिक व बौद्धिक विकास बाधित होती है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया बच्चों को दवा खिलाते समय कुछ सावधानी भी बरतनी होगी। जैसे कि अगर किसी बच्चों की कोई गम्भीर बीमारी का इलाज चल रहा है और वह नियमित रूप से दवा खा रहा है। या फिर कोई भी बच्चा सर्दी, खांसी, बुखार व सांस लेने में तकलीफ हो रही है। उसे यह दवा नहीं खिलाई जाएगी।
साथ ही बच्चा अगर कोविड-19 ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आया है तो इसकी भी पुष्टि करनी होगी। दवा नुकसान नहीं करेगी लेकिन सावधानी के तहत ऐसे बच्चों को दवा नहीं दी जाएगी। 1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली को चूरा बनाकर पानी के साथ 2 से 3 वर्ष एक पूरी गोली चूरा बनाकर पानी के साथ तथा 3 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चबाकर खिलाया जाना है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया ने बताया दवा खिलाते समय यह ध्यान रखा जाये कि बच्चे दवा को चबाकर खाएं। जिन बच्चों के पेट में कीड़ा की अधिकता होगी उनके द्वारा दवा का सेवन करने पर मामूली लक्षण सामने आयेंगे। जिससे घबराने की जरूरत नहीं है। जैसे दवा खाने के बाद जी मचलाना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान महसूस होना। लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। पेट में कीड़ा होने के कारण यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देगा। इस दौरान बच्चों को आराम की सलाह दें तथा उसे लेट जाने को कहें। 10 मिनट में समस्या स्वयं ही दूर हो जाएगी। डीसीएम स्वास्थ्य सुमन सिन्हा ने बताया कि अभियान की सफलता को लेकर सिविल सर्जन ने विभिन्न विभागीय अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए गये हैं। उन्होंने कहा कि अभियान की सफलता को लेकर शहरी व ग्रामीण इलाकों में माइकिंग के साथ-साथ पोस्टर-बैनर सहित अन्य माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जायेगा। निर्धारित माइक्रो प्लान के तहत बच्चों को दवा का सेवन सुनिश्चित कराया जाना है।
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