बिहार

सुल्तान पोखर पूजा समिति के भक्त कंधे पर मां भगवती को नगर भ्रमण कराकर किया विसर्जित

Shantanu Roy
6 Oct 2022 5:42 PM GMT
सुल्तान पोखर पूजा समिति के भक्त कंधे पर मां भगवती को नगर भ्रमण कराकर किया विसर्जित
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अररिया। दस दिनों तक चलने वाला शक्ति की देवी मां दुर्गा की पूजा अर्चना अश्रुपूरित नम आंखों से विदाई के साथ विसर्जित कर समाप्त हुआ।अररिया जिले में 221 स्थानों पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की गई।विधि व्यवस्था को लेकर पूजा के पहले दिन से विसर्जन तक पुलिस प्रशासन की मुस्तैदी में मां भगवती की प्रतिमा विसर्जित की गई।विसर्जन से पहले विभिन्न पूजा समितियों की ओर से ढोल नगाड़ों और बैंड बाजों के बीच मां भगवती को नगर भ्रमण कराया गया।जहां सड़क के दोनों ओर बड़ी संख्या में श्रद्दालु मां के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। अररिया जिला में कई पूजा समिति की ओर से मां को विदाई कंधों पर देने की परंपरा चली आ रही है।जिस तरीके से घर से बेटी को डोली पर बैठाकर विदाई की भारतीय सभ्यता-संस्कृति की पौराणिक परम्परा है। बेटी की डोली कहार उठाते हैं।उसी तर्ज पर मां भगवती की प्रतिमा को श्रद्धालु कंधे पर लेकर नगर भ्रमण कराते हुए विसर्जित करती है और इस परंपरा का निर्वहन वर्षों से फारबिसगंज का सुलतान पोखर पूजा समिति की ओर से निर्वहन किया जाता आ रहा है।
सुलतान पोखर दुर्गा पूजा समिति के सदस्य मां भगवती के विशाल प्रतिमा के बेस को इस कदर बनाते हैं कि मां को विदाई के दौरान कंधा दे सके और उसी के तहत पांच दर्जन से अधिक भक्त मां को अवणे कंधे पर बिठाकर नगर भ्रमण कराती है और फिर उसका विसर्जन करती है।इस अद्भुत नजारे को देखने और मां के अंतिम दर्शन के लिए कई किलोमीटर लम्बे सड़क के दोनों ओर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रहती है।इस बार भी सुलतान पोखर दुर्गा पूजा समिति मां दुर्गा के नौ स्वरूप के साथ भव्य विशाल प्रतिमा स्थापित की गई थी और उस प्रतिमा को कंधे पर उठाकर श्रद्धालुओं ने अंतिम विदाई दी। भक्तों के कंधे पर मां की विशाल प्रतिमा भाव विह्वल करने वाला था।यह दृश्य फ़िल्म जानी दुश्मन का वर्मा मलिक की लिखी और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की म्यूजिक और मो.रफी के गाये गाना चलो रे डोली उठाओ कहार,पिया मिलन की रुत आयी...के उस पंक्ति की बरबस याद दिला दी,जिसमे कहा गया...जिन नैनो की तू है ज्योति,उन नैनों से बरसे मोती...दवा नहीं है कोई जोर नहीं...है बेटी सदा ही पराई होती...जल्दी नैहर से ले जाओ कहार...पिया मिलन की रुत आयी...
चलो रे डोली उठाओ कहार, पिया मिलन की रुत आयी...
अररिया में जहां परमान नदी में त्रिशूलिया घाट पर मां की प्रतिमा को विसर्जित की गई।वहीं फारबिसगंज में सीताधार और सुल्तान पोखर और जोगबनी में परमान नदी में मां की प्रतिमा को अश्रुपूरित नेत्रों के साथ विसर्जित की गई।विसर्जन स्थल पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
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