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मुंगेर, (आईएएनएस)| मुंगेर विश्व योग आंदोलन के प्रवर्तक परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी पद्मभूषण परहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने अभिभावकों का आह्वान किया है कि बेहतर हिंदुस्तान बनाने के लिए बच्चों में रचनात्मक प्रतिभा को इस कदर विकसित करें कि उसमें निखार आए और वह सब को आकर्षित करे। सन्यासपीठ में आयोजित 29वें बाल योग दिवस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पूरी दुनियां जहां 14 फरवरी को वेलेनटाइन-डे के रूप में मनाता है, वहीं मुंगेर इस दिन को बाल योग दिवस के रूप में मनाता है।
स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि बाल योग मित्र मंडल को 3 लक्ष्य दिये गए हैं। योग के द्वारा संस्कार प्राप्त करना, योग द्वारा ऐसी प्रतिभा को प्राप्त करना, जिससे बिना किसी पर आश्रित रहे अपना जीवन चला सके और योग को आधार बनाकर अपने जीवन को संस्कृति से युक्त कर सके।
निरंजनानंद सरस्वती ने कहा कि संस्कार, स्वाबलंबन, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम बाल योग मित्र मंडल के तीन लक्ष्य हैं। बच्चों की सक्ष्म संस्था के रूप में इसकी पहाचान पूरी दुनिया में है।
उन्होंने कहा कि ईश्वर माता-पिता को बच्चे वरदान के रूप में देते हैं, लेकिन उनकी भविष्य को उज्जवल बनाना, उन्हें भारतीय संस्कृति के रूप में ढ़ालना बहुत कठिन काम है। बाल योग मित्र मंडल के ओर से बच्चों के जीवन को योगमय जीवन बनाकर यह काम किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हम उज्जवल और समुन्नत समाज की परिकल्पना तभी कर सकते हैं, जब बच्चे जो कल के भविष्य हैं, उनमें यह नींव डालें।
इस अवसर पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। नाटक के माध्यम से बाल योग मित्र मंडल के 1995 से लेकर अब तक के सफर को रेखांकित किया गया।
उल्लेखनीय है कि 1995 में 7 बच्चों से बाल योग मित्र मंडल का सफर आरंभ हुआ था। 2003 में भारत के तात्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम बाल योग मित्र मंडल के बच्चों से मिलने मुंगेर आए थे। इसके बाद 2004 में स्थानीय पोलो मैदान में वे दोबारा आए और 20000 बच्चों के साथ बाल योग दिवस मनाया था। इसी दिन उन्होंने मुंगेर को योग नगरी की संज्ञा दी थी।
--आईएएनएस
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