बिहार

आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव के लिखित आदेश के बावजूद इन सभी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की खतरे में जिंदगी

Tara Tandi
16 July 2023 8:21 AM GMT
आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव के लिखित आदेश के बावजूद इन सभी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की खतरे में जिंदगी
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पूर्णिया धमदाहा प्रखंड के 212 सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले 72, 826 बच्चों की जिंदगी शिक्षा विभाग एवं संबंधित विद्यालय प्रबंधनों की लापरवाही के कारण खतरे में है. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि सरकारी विद्यालयों की वर्तमान हालत इस सच्चाई को बयां कर रही है क्योंकि आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव के लिखित आदेश के बावजूद इन सभी विद्यालयों में से एक भी विद्यालय में वज्रपात से सुरक्षा प्रदान करने वाली तड़ित चालक नहीं लगा हुआ है. जिस कारण इन विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की जिंदगी लगातार असुरक्षित बनी हुई है.
बच्चे काफी दहशत में आ गए
कुछ वर्ष पूर्व जिले में हुई बेमौसम बारिश के दौरान पूर्णिया पूर्व प्रखंड में एक सरकारी विद्यालय के समीप ठनका गिरने के कारण मची भगदड़ में 12 से अधिक बच्चों समेत एक शिक्षिका घायल हो गई थी. खुशकिस्मती से ठनका विद्यालय पर नहीं गिरा वरना एक बड़ी घटना का गवाह वह विद्यालय बन सकता था. वहीं, शुक्रवार की दोपहर को भी तेज हवा के साथ हुई वज्रपात के कारण धमदाहा बनमनखी एवंम धमदाहा बी कोठी सीमा पर स्थित कई विद्यालयों के बच्चे काफी दहशत में आ गए थे लेकिन सौभावय से वज्रपात रिहायसी इलाके से दूर हुआ था.
सख्त निर्देशों के बावजूद गंभीरता नहीं दिखा रहा विभाग
इन सब घटनाओं के बाद बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा यह सवाल फिर से उठने लगा है कि आखिर प्रधान सचिव के सख्त निर्देशों के बावजूद शिक्षा विभाग इस मामले में अपनी गंभीरता क्यों नहीं दिखा रही है. वज्रपात के खतरे को लेकर जिस तरह से पूर्णिया इसके रडार पर रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग ने जिस तरह का अलर्ट भी जारी किया है खुदा ना खास्ता अगर फिर से वज्रपात की घटना होती है और अगर इसके चपेट में कोई भी विद्यालय आ गया तो इसका जिम्मेवार कौन होगा.
क्या था आपदा प्रबंधन विभाग का निर्देश
बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने 2 वर्ष पूर्व सभी जिला पदाधिकारियों को वज्रपात से बचाव हेतु उपाय से संबंधित क्या करें तथा क्या ना करें का पम्पलेट मुद्रित करवाकर इसका प्रचार प्रसार कराने का निर्देश जारी किया था. निर्देश में कहा गया था कि वर्तमान में राज्य के अनेक हिस्सों में वज्रपात से आमजनों की मृत्यु की सूचना मिली है. खासकर विद्यालयों में तड़ित चालक लगवाने की दिशा में त्वरित कदम उठाने की बात कही थी. जिसके बाद जिलाधिकारी ने सभी अनुमंडलाधिकारी, प्रखण्ड विकाष पदाधिकारी,अंचलाधिकारी,प्रखण्ड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को इस इस संबंध में लिखित निर्देश जारी किया था, लेकिन वो निर्देश सरकारी फाइलों में हीं दबकर रह गया. 2 वर्ष बीत जाने के बावजूद एक भी विद्यालय में तड़ित चालक स्थापित होना तो दूर अधिकतर विद्यालय प्रधानों को इसके बारे में जानकारी तक नही है.
क्या है तड़ित चालक
तड़ित चालक एक धातु का चालक छड़ होता है. जिसे ऊंचे भवनों की आकाशीय विद्युत से रक्षा के लिये लगाया जाता है. तड़ित चालक का उपरी सिरा नुकीला होता है और इसे भवनों के सबसे ऊपरी हिस्से में लगाया दिया जाता है. इसके निचले सिरे में विद्युत का एक तार जोड़ के उसे नीचे लाकर एक धातु के सहारे धरती में गाड़ (अर्थ) दिया जाता है. जिस भवन के ऊपर यह लगा रहता है. अगर उस भवन पर वज्रपात होता भी है तो यह तड़ित चालक उसे खींचकर सीधे जमीन के नीचे भेज देता है. इससे वज्रपात क्षति नही पहुंच पाता है. इसे लगाना बहूत हीं आसान है एवम इसमें ज्यादा खर्च भी नहीं होता है. केवल 1500 से 2 हजार रुपये खर्च करके इसे स्थापित किया जा सकता है.
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