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औरंगाबाद। नये वर्ष 2023 के पहले या यूं कहे वर्ष 2022 के अंत में पुलिस को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाने की नक्सलियों की योजना धरी की धरी रह गयी. कोबरा, सीआरपीएफ व जिला बल की टीम ने नक्सलियों के अरमान को ध्वस्त कर दिया. जो हमला के फिराक में थे उन्हें विस्फोटकों का जखीरा छोड़ कर जैसे-तैसे भागना पड़ गया. अति नक्सल ग्रस्त मदनपुर प्रखंड के बंदी, करिबाडोभा व पचरूखिया में जंगल में पुलिस की टीम ने अचानक छापेमारी कर 21 पीस केन आइइडी, चार पीस प्रेशर आइइडी, भारी संख्या में मोबाइल, वायरलेस सेट और कारतूस बरामद किया है.
गुरुवार को अपने कार्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान एसपी कांतेश कुमार मिश्र ने कार्रवाई से संबंधित जानकारी मीडिया को साझा की. एसपी ने बताया कि 27 व 28 दिसंबर को पचरूखिया के जंगल में नक्सलियों द्वारा सुरक्षा बलों पर हमला करने की तैयारी किये जाने की सूचना प्राप्त हुई. सूचना के बाद उनके और कोबरा 205 के समादेष्टा कैलाश के संयुक्त निर्देशन में सीआरपीएफ 47वीं वाहिनी के द्वितीय कमान अधिकारी महालय मनीष, बीएस भाटी, उप समादेष्टा ओमप्रकाश यादव, सीआरपीएफ 159वीं वाहिनी के सहायक समादेष्टा नीरज कुमार के नेतृत्व में सीआरपीएफ, एसटीएफ, कोबरा की टीम ने बंदी, करिबाडोभा, पचरूखिया सहित आसपास के क्षेत्रों में सर्च अभियान चलाया गया.
सुरक्षा बलों को देखते ही नक्सली फरार हो गये. इस क्रम में लेवी की रसीद, केन आइइडी सहित जीवन यापन के कुल 73 सामानों को बरामद कर उसी जगह पर विनष्ट कर दिया गया. कुछ अवैध सामान को जब्त भी किया गया है. इस मामले में मदनपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है, जिसमें 10 से 15 अज्ञात नक्सलियों को आरोपित बनाया गया है.
मदनपुर प्रखंड के नक्सल प्रभावित पचरूखिया के जंगल में सर्च अभियान के दौरान विस्फोटकों के जखीरा के दौरान विभिन्न कंपनियों के 50 सिम कार्ड बरामद किये गये है. इन तमाम सिम कार्डों के माध्यम से नक्सली अपनी गतिविधियों का अंजाम देते थे. इन सभी सिम का लोकेशन व बातचीत को पुलिस ट्रैक करायेगी. इससे तमाम तरह की जानकारी हासिल होने की पूरी संभावना है. सिम के माध्यम से नक्सली किससे बात करते थे उसकी जानकारी तो मिलेगी ही उनकी योजनाओं का भी पर्दाफास होगा.
बड़ी बात यह है कि नक्सलियों को सपोर्ट करने वाले लोग भी उक्त सिम के माध्यम से पुलिस के रडार पर आयेंगे. संभव है कि कई लोगों के बातचीत का खुलासा होगा. यही नहीं नक्सलियों के योजनाओं को भी ध्वस्त करने में पुलिस को सफलता मिलेगी. ज्ञात हो कि मोबाइल के माध्यम से नक्सली अपने समर्थकों से बातचीत तो करते ही रहे है, लेवी का भी अदान-प्रदान होते रहा है. ठेकेदारों के साथ-साथ व्यवसायियों से नक्सली फोन के माध्यम से ही लेवी की वसूली करते रहे है. हालांकि हाल के वर्षों में पुलिस नक्सलियों पर हावी रही है. वर्ष 2022 में पूरी तरह नक्सली अपने मांद ही समाये रहे. उनके विस्फोटकों का जखीरा पुलिस ने पूरी तरह नेस्तनाबूत कर दिया. कई बड़े नक्सली पुलिस के हत्थे भी चढ़ गये. जो बचे है वह इधर-उधर भागे फिर रहे है.
करिबाडोभा व पचरूखिया के जंगल में सर्च अभियान के क्रम में एक ही कंपनी के एक जैसे 63 कीपैड मोबाइल बरामद किये गये है. इसके साथ ही आठ वाकीटॉकी यानी वायरलेस सेट भी मिले है. इससे पता चलता है कि नक्सली लगातार अपने आप को हाईटेक करने में लगे हुए है. वैसे वायरलेस सेट को सिग्नल मजबूत करने में किया जाता रहा है. नक्सली दस्ता का कमांडर अपने साथियों से अलग न हो जाये इस वजह से वे वायरलेस सेट का उपयोग करते होंगे. आपात स्थिति में साथियों को एक जगह इकट्ठा करने के लिए मोबाइल फोन पर संपर्क करना पड़ता है. इससे नेटवर्क की समस्या भी बनती है. ऐसे में नेटवर्क की सिग्नल को मजबूत रखने के लिए वायरलेस सेट कारगर साबित होता है. वैसे आम तौर पर देखा जाता है कि पुलिस व रेलवे विभाग में वायरलेस सेट का उपयोग किया जाता है.
केन आइइडी-24 पीस
प्रेशर आईईडी-4 पीस कीपैड मोबाइल-63 पीस
9 एमएम का कारतूस-52 पीस
7.62 एमएम का कारतूस-198 पीस
एंड्रायड मोबाइल-2 पीस
वायरलेस सेट-8 पीस
इंटरसेप्टर्स- 2 पीस
कैमरा फ्लैश- 2 पीस
अमोनियम पाउच-3 पीस
सिमकार्ड -50 पीस
नक्सल साहित्य
Admin4
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