बिहार

आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग पकड़ सकती है जोर, 85 फीसदी जातियां गैर सवर्ण समुदाय से

Harrison
5 Oct 2023 1:59 PM GMT
आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग पकड़ सकती है जोर, 85 फीसदी जातियां गैर सवर्ण समुदाय से
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बिहार | जाति आधारित गणना के आंकड़े सार्वजनिक हो गए हैं. इसके साथ ही बिहार समेत राष्ट्रीय स्तर पर भी आरक्षण का दायरा और बढ़ाने की मांग जोर पकड़ सकती है. मौजूदा समय में 57 फीसदी आरक्षण का कोटा तय है. इसमें से 10 फीसदी गरीब सवर्णों के लिए है. इसको छोड़ दें तो 47 फीसदी का लाभ गैर सवर्णों को मिल रहा है जबकि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 85 फीसदी जातियां गैर सवर्ण समुदाय से हैं.
आबादी के अनुसार आरक्षण कोटा बढ़ाने के लिए कई पार्टियां और जातीय संगठन राज्य में लागू आरक्षण के वर्तमान फॉर्मूला में बदलाव चाहते हैं. इनका तर्क है कि बिहार में लागू आरक्षण सूची में व्यापक बदलाव आया है. पिछड़े, अतिपिछड़े में शामिल हो गए, जबकि अतिपिछड़ों से भी जातियों को अनुसूचित जाति और जनजाति की सूची में स्थान मिला. विभिन्न श्रेणियों के लिए निर्धारित किए गए आरक्षण के कोटे में कोई फेरबदल नहीं किया गया है. बीते वर्षों में सूबे की 36 जातियों का ठिकाना बदल गया.
राज्य की अतिपिछड़ा वर्ग की सूची (अनुसूची-1) में शामिल 127 जातियों में से 14 जातियों को विलोपित कर उन्हें अनुसूचित जाति-जनजाति में शामिल किया गया है. अनुसूची एक में दर्ज जातियों की संख्या 113 है. पिछड़े वर्ग (अनुसूची 2) में शामिल 45 जातियों से 16 के विलोपित होने के बाद इस सूची में 31 जातियां बचती हैं. इसमें आठ जाति समूहों को 2002 के बाद शामिल किया गया.
इसमें भाट, भट, ब्रह्मभट व राजभट, भागलपुर के सन्हौला प्रखंड और बांका के धोरैया प्रखंड में पायी जाने वाली मडरिया जाति, मधुबनी और सुपौल जिले की दोनवार जाति, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज व अररिया के सुरजापुरी मुसलमान (शेख, सैयद, मल्लिक, मोगल, पठान को छोड़कर), मलिक, सैंथवार और गोस्वामी, सन्यासी, अतिथ/अथीत, गोसांई, जति/यति शामिल हैं. किन्नर, कोथी, ट्रांसजेंडर को भी 12 2014 को पिछड़े वर्ग में शामिल किया गया.
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