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कभी अपनी भाषाई सोंधी महक और मिट्टी की खुशबू के लिए जानी जाने वाली भोजपुरी भाषा इन दिनों विवादों में घिर गई है
Bihar News: कभी अपनी भाषाई सोंधी महक और मिट्टी की खुशबू के लिए जानी जाने वाली भोजपुरी भाषा इन दिनों विवादों में घिर गई है. कभी अंगुरी में डसले बिया नगिनिया हो और शारदा सिन्हा के गाए गीतों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार हुई भोजपुरी का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. पैसे कमाने की होड़ और सोशल मीडिया पर एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ ने भोजपुरी के गानों को जातिगत विद्वेष से भर दिया है
अब आनन-फानन में हिट और लाइक पाने के लिए छुटभैये गायक और भोजपुरी के सितारे दिन-रात ऐसे गाने बना रहे हैं, जिससे सामाजिक समरसता के बिगड़ने का खतरा बढ़ गया है. इसी बात से चिंतित होकर खुद कई अश्लील भोजपुरी गाने गाने वाले गायक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर जातिसूचक भोजपुरी गानों के बनाने और गाने पर रोक लगाने की मांग की है.
कभी कजरी, ठुमरी और सोहर के बोल भोजपुरी भाषा की मिठास की पहचान होते थे. अब बदलते वक्त में गानों के बोल चोली, हुक, बटम और घाघरा के अलावा जातिसूचक बोल से शुरू होते हैं. हम सबसे पहले आपको बिहार की विभिन्न जातियों के ऊपर बने गानों के कुछ बोल से रूबरू कर रहे हैं. जैसे- आरा में चले ला अहिरान (यादव) के. यानि की आरा में सिर्फ और सिर्फ यादव यानी अहीर की चलती है. दूसरे किसी के पास पावर नहीं है. आगे सुनिए- यादव जी बना ल आपन बीबी. यादव जी अपनी बीबी बना लीजिए. एक और गाना- पांडे जी का बेटा हूं. ये ब्राह्मणों पर बनाया गया है. आगे का बोल सुनिए- अइलु दूबे जी के बारात में, काहे डरा लू नाच में. तुम दूबे जी की बरात में आई हो, नाचने में डर क्यों रही हो. अगला गाना है- गोली चलेला बबुआन (राजपूत) के बारात में. राजपूत के बारात में गोली चलती है. अगला गाना दो जातियों में विद्वेष फैलाने के लिए है- टोला अहिरान (यादव) के रंगदारी चली बबुआन के. यानी इलाका अहीर (यादव) का है लेकिन रंगदारी राजपूत की चलेगी.
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