बिहार

कला उत्सव के जिला स्तरीय प्रतियोगिता की तिथि जारी

Harrison
27 Sep 2023 10:07 AM GMT
कला उत्सव के जिला स्तरीय प्रतियोगिता की तिथि जारी
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बिहार | समग्र शिक्षा 2023-24 के तहत कला उत्सव के जिला स्तरीय प्रतियोगिता की तिथि जारी कर दी गई है. जिला स्तरीय प्रतियोगिता 30 सितंबर तक पूरी कर लेनी है. इसमें प्रत्येक स्कूल से हर विधा में प्रथम स्थान प्राप्त एक छात्र और एक छात्रा का चयन किया जाएगा. ये छात्र और छात्राएं प्रमंडल स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होंगे. छात्रों की सूचना 30 सितंबर तक संबंधित डीईओ को देनी है. वहीं प्रमंडलीय स्तर की प्रतियोगिता 15 अक्टूबर को होगी. 10 विधाओं में प्रतियोगिता होती है.
बता दें कि कला उत्सव प्रतियोगिता का आयोजन बिहार शिक्षा परियोजना परिषद करता है. इसमें सरकारी और निजी स्कूल के नौवीं से 12वीं तक के विद्यार्थी शामिल होते हैं. इसमें शास्त्रत्त्ीय संगीत, पारंपरिक लोक संगीत, संगीत वादन, स्वर वाद्य, शास्त्रत्त्ीय नृत्य, लोक नृत्य, दृश्य कला (द्विआयामी), दृश्य कला (त्रि-आयामी), स्थानीय खेल-खिलौना, नाटक एकल अभिनय प्रतियोगिता शामिल है. हर प्रतियोगिता में स्कूल छात्र और छात्राएं के लिए अलग-अलग ग्रुप हैं. एक छात्र एक ही प्रतियोगिता में शामिल होगी. प्रमंडल स्तर पर हर जिले से प्रथम स्थान प्राप्त एक छात्र और एक छात्रा शामिल होगी. इनके बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा. प्रमंडल स्तर पर जिन छात्र और छात्रा को प्रथम स्थान प्राप्त होगा, उन्हें राज्य स्तर पर शामिल होने का मौका मिलेगा.
‘लड़खड़ाती राजनीति को संभालने वाला कोई नहीं’
कभी राष्ट्रकवि दिनकर ने ही कहा था कि जब-जब राजनीति लड़खड़ाती है, साहित्य उसे थाम लेता है. आज लड़खड़ाती राजनीति को थाम लेने वाला कोई दिनकर नहीं है. है भी तो उसे पूछता कौन है? ये बातें राष्ट्रकवि और सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष ब्रजनन्दन सहाय ब्रजवल्लभ की जयंती पर आयोजित समारोह एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने कही. उन्होंने राष्ट्रकवि की कविताओं का पाठ भी किया.
सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष ब्रजनंदन सहाय ब्रजवल्लभ की जयंती पर डॉ. सुलभ ने कहा कि आधुनिक हिन्दी में पहला उपन्यास लिखकर ब्रजवल्लभ जी ने न केवल इतिहास की रचना की, अपितु बिहार का भाल भी उज्ज्वल किया. बिहार के ही सदल मिश्र ने हिन्दी की पहली कहानी लिखी थी. सम्मेलन के वरीय उपाध्यक्ष जियालाल आर्य ने कहा कि दिनकर जी रवींद्र नाथ ठाकुर से प्रभावित थे. उनकी काव्य-चेतना में राष्ट्र और राष्ट्रीयता का सर्वोत्तम स्थान था.
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