Darbhanga: सुकराती गांव के दर्जनों महादलित परिवार किसी अनहोनी की आशंका से सहमे हुए
दरभंगा: दरभंगा और सहरसा जिले के सीमावर्ती बुढ़िया सुकराती गांव के दर्जनों महादलित परिवार किसी अनहोनी की आशंका से सहमे हुए हैं. काजल यादव व साधु यादव गिरोह के अपराधियों की दहशत उनमें अब भी बनी हुई है. इस कारण से गांव के कई परिवार अन्य छुपकर रह रहे हैं.
गांव के दर्जनों महादलित परिवार गत एसएसपी से मिलने दरभंगा पहुंचे थे. उन्होंने एसएसपी से गांव में ही पुनर्वासित कराने की गुहार लगायी थी. शाम में कुशेश्वरस्थान के लिए कोई वाहन नहीं मिलने की स्थिति में एसएसपी ने विशेष वाहन की व्यवस्था कर उन्हें गांव भिजवाया था. हालांकि कुशेश्वरस्थान पहुंचते-पहुंचते रात हो जाने पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से रात में तिलकेश्वर थाना परिसर में ही उनके ठहरने की व्यवस्था की गयी. की सुबह पुलिस की सुरक्षा में उन्हें गांव की ओर रवाना किया गया.
गांव पहुंचने पर दहशत के कारण कई लोग घर नहीं जाकर नयी जगह जहां वे फिलहाल छुपकर रह रह हैं वहां चले गए और कुछ लोग अपने घर चले गए. घर आए लोगों में अरुणा देवी, अढुलिया देवी, सुमन सदा आदि ने कहा कि एसएसपी से गुहार लगाने के बाद अब उनमें भय है कि अपराधी उनके साथ कोई अनहोनी न कर दें. अरुणा देवी ने कहा कि उनका भाई जोगिन्दर सदा अपराधियों के भय के कारण यहां नहीं आया. वो अभी जहां छुपकर रह रहा है, फिर से वहीं चला गया है.
उधर, गांव से पलायन कर बाहर रह रहे नागो सदा, सुकन सदा, चंदर सदा आदि ने फोन पर बताया कि हम लोग गांव जाने से डरते हैं. काजल यादव, साधु यादव, राधे यादव तथा अमरजीत यादव गिरोह के लोग कभी भी हमारी जान ले सकते हैं. उनके डर से हम अपनी तैयार हो चुकी मक्के की फसल भी काटने नहीं जा रहे हैं. बता दें कि हाल ही में बिरौल डीएसपी, एसडीओ तथा दो थानों की पुलिस इन दलित परिवारों से मिलने गांव पहुंचे थे, लेकिन अपराधियों के खौफ के कारण ये वोग खुलकर प्रशासन के सामने अपनी बात नहीं रख सके थे. इसके बाद गांव के कुछ लोग आवेदन लेकर एसएसपी से मिलने पहुंचे थे. इस संबंध में उजुआ सिमरटोका के मुखिया भज्जू महतो से बात करने के लिए कई बार उनके मोबाइल पर फोन किया गया, पर उनका फोन बंद मिला. बिरौल एसडीपीओ मनीष चंद्र चौधरी ने कहा कि इन महादलित परिवारों को पुलिस का संरक्षण मिला हुआ है. एसएसपी की ओर से गांव जाकर फिर से जांच करने का मौखिक आदेश मिला है. हमने उनसे आग्रह किया है कि वे खुद भी एक बार गांव जाकर अपने स्तर से पूरे मामले की जांच कर लें.