किशनगंज: पूर्वी अफ्रीका से एक बड़ी आफत देश के साथ ही बिहार के किशनगंज में भी दहशत (Nairobi Fly Terror On Kishanganj ) फैला रही है. यह है नैरोबी मक्खी. इसका आतंक पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी और सिक्किम में देखने को मिल रहा है लेकिन अब चिंता और बढ़ गयी है क्योंकि यह एसिड फ्लाई अब किशनगंज (Acid Fly In Kishanganj) में भी पहुंच चुकी है. स्वास्थ्य विभाग (Bihar Health Department Alert) ने इसको लेकर किशनगंज प्रशासन को अलर्ट किया है.
दरअसल बिहार के किशनगंज जिले से पश्चिम बंगाल का सिलीगुड़ी सटा होने के कारण यहां पर भी नैरोबी का खतरा मंडरा रहा है. जिसको लेकर किशनगंज स्वस्थ्य विभाग अलर्ट मोड (Kishanganj Health Department Alert) पर है. बताया जाता है कि इस नैरोबी मक्खी का प्रकोप सिलीगुड़ी में बहुत तेजी से बढ़ रहा है. जो पहाड़ों से होते हुए सिलीगुड़ी शहर तक पहुंच गया है, जहां सैकड़ों लोग नैरोबी मक्खी (एसिड फ्लाई) से संक्रमित हैं. इसके फैलने की रफ्तार बहुत तेज है. चींटी की तरह दिखने वाली यह मक्खी काफी खतरनाक है.अंधा बना देती है एसिड फ्लाई: ये मक्खियां काटती नहीं हैं पर शरीर पर बैठने से जहरीला तरल पदार्थ छोड़ती है जिससे लोगों को त्वचा में जलन और जगह जगह पर इंफेक्शन हो जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि अगर मक्खी शरीर पर बैठे या चिपके तो उसे छूना नहीं चाहिए. छूने पर या इसे मसलने से यह एसिड जैसा जहरीला पदार्थ छोड़ती है, जिसे पेडरिन नाम से जाना जाता है. पेडरिन बहुत हानिकारक होता है. इस पेडरिन के त्वचा के सम्पर्क में आने से यह रासायनिक जलन पैदा करता है. आंखों को मसलते वक्त अगर यह खतरनाक पेडरिन आंखों तक पहुंच जाता है तो कुछ देर के लिए संक्रमित व्यक्ति अंधेपन में भी चला जाता है.'त्राहिमाम संदेश भेजने की जरूरत': भाजपा विधान पार्षद सह मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि अगर ये जहरीली मक्खी किशनगंज में पैर पसार देती है तो बहुत लोगों को हानि पहुंचेगी. जिसके लिए जिला प्रशासन पहले तो जांच करवा ले कि यह मक्खी कहां तक पहुंची है. उसके बाद त्राहिमाम संदेश केंद्र और बिहार सरकार को भेजने की जरूरत है
डॉक्टर की सलाह: वहीं किशनगंज सिविल सर्जन ने कहा कि सभी अस्पताल को अलर्ट कर दिया गया है. उन्होंने लोगों को सलाह देते हुए कहा कि अगर शरीर पर इसके बैठने या चिपकने का किसी को पता चलता है तो इसे धीरे से फूंक मारकर उड़ा देना चाहिए या फिर ब्रश करके इस एसिड फ्लाई को हटा देना चाहिए. उसके बाद त्वचा को साबुन पानी से अच्छे से साफ कर लेना चाहिए. वहीं नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी दीपक कुमार ने इस जहरीली मक्खी के आक्रमण को शहर में रोकने के लिए शहर में साफ सफाई की व्यवस्था करने और ब्लिचिंग का छिड़काव करने की बात कही है.
नैरोबी प्लाई हमारे देश का नहीं है. यह अफ्रीका से आया है. नैरोबी काटती नहीं है. पैनिक होने की जरूरत नहीं है. रात को जहां बैठे वहां लाइट का प्रयोग कम करें जिससे कि मक्खी आकर्षित नहीं होगी. रात को मच्छरदानी लगाकर भी इससे बचा जा सकता है. स्कीन पर अगर मक्खी बैठे तो तुरंत ठंडा पानी से धोएं. उसके बाद भी कोई तकलीफ होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें."- डॉ कौशल किशोर प्रसाद, सिविल सर्जन, किशनगंज"सिलीगुड़ी में केस बढ़े हैं. इसको लेकर हमलोग सतर्क हैं. रोज फौगिंग करवाई जा रही है. लोगों से भी अपील है कि आस पड़ोस में गंदा पानी जमा ना होने दें. इसको रोकने के लिए प्रशासन को जनता का सहयोग चाहिए."- दीपक कुमार कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद किशनगंजबोले चिकित्सक- 'घबराने की जरूरत नहीं': वहीं पटना के चिकित्सक डॉ मनोज कुमार सिन्हा बताते हैं कि यह नैरोबी फ्लाई पहाड़ी एरिया में देखने को मिलते हैं और यह फ्लाई देसी नहीं है लेकिन प्रजनन के अनुकूल माहौल और पर्याप्त खाद्य आपूर्ति की तलाश में नए क्षेत्रों में आते जाते रहते हैं. किशनगंज उत्तर बंगाल से सटा हुआ इलाका है और सिलीगुड़ी के इलाके में इसके मामले बढ़ने लगे हैं तो संभव है कि यह कीड़ा उड़कर किशनगंज के इलाके में भी पहुंच जाए. उन्होंने कहा कि इसको लेकर अधिक पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है."नैरोबी फ्लाई दिखने में चींटें के आकार का होता है और इसमें पंख लगे होते हैं, पीछे का इसका पार्ट कर्व होता है और गहरे काले रंग का होता है. यह कीड़ा काटता नहीं है लेकिन यह शरीर पर जब बैठता है और इसे जब छुआ जाता है या फिर इसे मसलने का प्रयास किया जाता है तो यह कीड़ा लिक्विड फॉर्म में टॉक्सिक पदार्थ रिलीज करता है जिसे पेडरिन कहा जाता है. यदि स्किन पर कीड़े के चिपकने से जो जहरीला पदार्थ गिरा है उसे कोई छूकर आंखों को छूता है तो आंखों की रोशनी तक को यह कमजोर कर देता है.
नैरोबी फ्लाई एक अफ्रीकी कीट है, जिसमें पेडिटिन (Peditin) नामक एसिड होता है. यह किसी को काटता नहीं, लेकिन इसके शरीर में मौजूद एसिड मानव शरीर के संपर्क में आने के बाद त्वचा में जलन और पीड़ा पैदा करता है. यह कीट अत्यधिक वर्षा वाले इलाकों में पाया जाता है. इस बार हिमालय की तलहटी वाले क्षेत्रों में अच्छी वर्षा के चलते पिछले सालों के मुकाबले इनमें काफी बढ़त देखने को मिली है.इन लक्षणों को ना करें नजर अंदाज: डॉक्टरों ने इस कीट को लेकर बताया है कि इसके संपर्क में आने से व्यक्ति की त्वचा में लाली और जलन से साथ दर्द महसूस होता है. इसके साथ कुछ लोगों में बुखार और उल्टी की समस्या भी देखने को मिल रही है. अगर किसी को शरीर में ऐसे लक्षण दिखाई दें तो वे तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें. डॉक्टरों के मुताबिक, इससे ठीक होने में व्यक्ति को 8-10 दिन का समय लग सकता है.