पटना: बिहार में 27 बांधों और 5 बराजों की निगरानी (Monitoring of 27 dams and 5 barrages) का जिम्मा बांध सुरक्षा संगठन (Dam Safety Organization) का होगा. जल संसाधन विभाग ने इसके लिए 56 अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम तैयार की है. केंद्रीय बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के तहत बांध सुरक्षा संगठन (एसडीएईओ) का गठन किया गया है. इसे बांध और बराजों की हर तरह की समस्या को दूर करने में मदद मिलेगी.
केंद्र सरकार की ओर से बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 पिछले वर्ष 30 दिसंबर को अधिसूचित किया गया था. इसके 180 दिनों के अंदर एसडीएसओ का गठन करना अनिवार्य था. बिहार में भी 30 जून तक एसडीएस का गठन कर लेना था और उसी को ध्यान में रखकर जल संसाधन विभाग ने गठन किया है. केंद्र सरकार बांध और बराज की सही ढंग से निगरानी नहीं किए जाने को लेकर चिंतित थी, क्योंकि बांध विफलता की 36 घटनाएं हो चुकी है. सबसे अधिक राजस्थान में 11 घटनाएं हुई हैं. मध्य प्रदेश में 10, गुजरात में 5, महाराष्ट्र में चार, आंध्र प्रदेश में दो और यूपी-उड़ीसा और उत्तराखंड में एक-एक घटनाएं हो चुकी हैं और उसी को देखते हुए अधिनियम केंद्र सरकार की ओर से लाया गया और सभी राज्यों की ओर से गठन किया जा रहा है. बिहार ने भी किया है. वैसे बिहार में बांध को लेकर कोई बड़ी घटना नहीं हुई है.
बड़े बांधों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है. अमेरिका और चीन के बाद भारत का स्थान आता है. भारत में 5344 बड़े बांध हैं. इनमें से 75 फीसदी 25 वर्ष की अवधि पूरा कर चुके हैं तो वहीं 295 बांध 100 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं. इसलिए इसके बेहतर रखरखाव की जरूरत है. अब बांध सुरक्षा संगठन बेहतर रखरखाव के साथ निगरानी भी करेगा. बिहार के भी बांध काफी पुराने हैं और सुरक्षा संगठन के बनाए जाने से रखरखाव बेहतर हो सकेगा.राज्यों के बीच तालमेल नहीं होने से परेशानी: देश में 90 फीसदी बांध ऐसे हैं, जो अलग-अलग राज्यों को जोड़ने वाली नदियों के ऊपर बना है. ऐसे में किसी भी राज्य में बने बांध में बड़ी समस्या आती है तो उसका असर दूसरे राज्यों पर भी होता है. दूसरे राज्यों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ता है. राज्यों के बीच बेहतर तालमेल नहीं होने के कारण परेशानी और बढ़ती है लेकिन अब बाढ़ सुरक्षा संगठन के तैयार होने से कई तरह के लाभ होगा और बेहतर तालमेल भी स्थापित हो सकेगा.