बिहार

मिट्टी की उर्वरा शक्ति के लिए मसूर की खेती आवश्यक

Admin Delhi 1
10 Feb 2023 10:54 AM GMT
मिट्टी की उर्वरा शक्ति के लिए मसूर की खेती आवश्यक
x

मोतिहारी न्यूज़: परसौनी गांव में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत जीरो टिलेज मशीन से बुआई किए हुए मसूर फसल पर प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया. कृषि विज्ञान केंद्र परसौनी के वरीय वैज्ञानिक व प्रधान डॉ अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि मसूर के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है. उष्ण-कटिबंधीय व उपोष्ण- कटिबंधीय क्षेत्रों में मसूर शरद ऋतु की फसल के रूप में उगाई जाती है. पौधों की वृद्धि के लिए अपेक्षाकृत अधिक ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है. केंद्र के मृदा विशेषज्ञ डॉ आशीष राय ने बताया कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में भी मसूर की खेती बहुत सहायक होती है.

मसूर की खेती के लिए दोमट मिट्टी काफी उपयोगी होती है. नमी युक्त दोमट या खेत में धान की अगेती फसल के बाद या फिर खाली पड़े खेत में मसूर की खेती आसानीपूर्वक की जा सकती है. मिट्टी परीक्षण के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग आवश्यकतानुसार करना चाहिए. जिन खेतों में नमी कम पाई जाती है वहां एक सिंचाई बुआई के 45 दिन बाद अधिक लाभकारी होती है . खेतों में पानी का जमाव नहीं होना चाहिए इससे फसल प्रभावित हो जाती है. पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. जीर विनायक ने बताया कि मसूर के प्रमुख रोग उकठा, ब्लाइट, बिल्ट एवं ग्रे मोल्ड है. इससे बचाने के लिए फसलों में मैंकोज़ेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. खेत को जुुताई बिना बुआई का काम जीरो टिलेज सीड ड्रिल के जरिए आसानी से किया जा सकता है. इस तकनीक में पिछली फसल की कटाई के बाद उसके खड़े अवशेषों या फलों को जीरो टिलेज मशीन द्वारा खेत को तैयार किए बिना ही बीज बोए जाते है. इसलिए इसे जीरो टिलेज तकनीकी या सीधी बिजाई की तकनीक कहते हैं . इस विधि को जीरो टिल, नो टील, सीधी बुवाई के नाम से भी जाना जाता है.

Next Story