बिहार

सिमरिया कल्पवास मेला के दूसरे परिक्रमा में उमड़ी साधु-संत और श्रद्धालुओं की भीड़

Shantanu Roy
28 Oct 2022 6:03 PM GMT
सिमरिया कल्पवास मेला के दूसरे परिक्रमा में उमड़ी साधु-संत और श्रद्धालुओं की भीड़
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बेगूसराय। बेगूसराय के सिमरिया गंगा तट पर चल रहे राजकीय कल्पवास मेला क्षेत्र में शुक्रवार को द्वितीय परिक्रमा किया गया। जिसमें लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी तथा हजारों लोगों ने ''सीता राम हरे, हरे कृष्ण हरे'' मंत्रोच्चार के साथ परिक्रमा पूरा किया। सर्वमंगला सिद्धाश्रम से स्वामी चिदात्मन जी के नेतृत्व में निकली परिक्रमा विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए अस्थाई कल्पवास क्षेत्र पहुंची तथा यहां का भ्रमण करते हुए गंगा किनारे के रास्ते से सिद्धाश्रम पहुंचकर समापन हो गया। परिक्रमा को लेकर कल्पवासियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे तथा थाना की पुलिस के अलावा अतिरिक्त पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी भी परिक्रमा में साथ चल रहे थे।
इस अवसर पर चिदात्मन जी ने कहा कि सिमरिया धाम स्थित इस परिक्रमा क्षेत्र में राम जानकी, गंगा, गायत्री, शिव और राधा-कृष्ण सहित सनातन संस्कृति में पूजे जाने वाले सभी देवी-देवता विराजमान हैं। इस संपूर्ण क्षेत्र की परिक्रमा करना पूरे विश्व ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के समान है। कम समय में तीनों लोक की परिक्रमा और अश्वमेध यज्ञ का फल इस परिक्रमा से प्राप्त होता है। देव प्रसन्न होते हैं तो सुख, समृद्धि, आरोग्यता प्राप्त होता है, कायिक, वाचिक, मानसिक ताप से शांति मिलती है। मां गंगा सब पर कृपा दृष्टि बरसाती रहे हमारा देश अतीत का गौरव प्राप्त करते रहें।
उन्होंने कहा कि सिमरिया का सनातन धर्म में विशिष्ट स्थान है। बीच में यह लुप्तप्राय हो गया, लेकिन आजादी के बाद पुन:जागृत हुआ और अब उत्तरोत्तर विकास की ओर अग्रसर है। गंगा-गंगा की संगम स्थली तथा मिथिला, मगध एवं अंग की त्रिवेणी है। सिमरिया धाम वैदिक कर्म, तांत्रिक कर्म, देव कर्म और पितृ कर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। तभी तो यहां प्राचीन काल से कार्तिक मास में कल्पवास होता है, जो सबको आकर्षित करता है। यहां कल्पवास करने से सब पाप-ताप दूर हो जाते हैं। 2023 में अर्धकुंभ लगने वाला है, उम्मीद है कि सभी अवरोध दूर होगी तथा सिमरिया विशेष प्रारूप में दिखेगा।
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