बिहार

नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा आरक्षण रद्द किए जाने के खिलाफ भाकपा-माले ने निकाला प्रतिवाद मार्च

Shantanu Roy
8 Oct 2022 5:47 PM GMT
नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा आरक्षण रद्द किए जाने के खिलाफ भाकपा-माले ने निकाला प्रतिवाद मार्च
x
बड़ी खबर
भागलपुर। नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों के आरक्षण में व्यवधान पैदा करने वाली भाजपाई साजिश के खिलाफ शनिवार को भाकपा-माले ने राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाया। भागलपुर में स्थानीय घंटाघर चौक से प्रतिवाद मार्च निकाला गया। आरक्षण को खत्म करने की भाजपाई साजिश का भंडाफोड़ करो, न्यायालय - न्यायालय का खेल बन्द करो – निकाय चुनाव सहित हर क्षेत्र में आरक्षण लागू करो, आरक्षण पर हमला नहीं सहेंगे आदि नारों को बुलंद करते हुए मार्च बड़ी पोस्टऑफिस के रास्ते कलेक्ट्रेट गेट पहुंच जोरदार प्रदर्शन किया। प्रतिवाद मार्च का नेतृत्व भाकपा-माले के राज्य कमिटी सदस्य एस के शर्मा, जिला सचिव बिंदेश्वरी मंडल और नगर प्रभारी और ऐक्टू राज्य सचिव मुकेश मुक्त ने की। नेतृत्वकारियों ने सभा को सम्बोधित करते हुए आरोप लगाया कि नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों का आरक्षण भाजपाई साजिश का शिकार हुआ है। कहा कि पिछड़ी/अतिपिछड़ी जातियों का पिछड़ापन कोई अबूझ पहेली नहीं है। इसकी जरूरत दिन के उजाले की तरह साफ है। शिक्षा और नौकरी में आरक्षण के साथ पंचायतों, नगर निकायों सहित अन्य राजनीतिक संदर्भों में पिछड़ों, अतिपिछड़ों को आरक्षण उनके ऐतिहासिक पिछड़ेपन को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना होने वाली है। जनगणना के बिंदुओं को और व्यापक बनाने का निर्देश भी हाई कोर्ट दे सकता था जिससे कि पिछड़ों के आरक्षण के ट्रिपल टेस्ट की शर्तें भी पूरी हो जातीं। चुनाव अंतिम चरण में था। आर्थिक संकट के इस गंभीर दौर में सरकार और जनता के करोड़ों रुपए खर्च हो चुके थे। इसे रोकना न सिर्फ एक भारी आर्थिक क्षति है, बल्कि स्थानीय स्तर पर कार्यरत लोकतांत्रिक प्रणाली को भी बाधित करना है। फिर, 2007 में नगर निकाय चुनाव के नियम बनने के बाद 3 बार चुनाव हो चुके हैं और पिछड़ों को आरक्षण भी दिया जा चुका है। राज्य सरकार का कहना है कि 2007 में कानून बनने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सही कहा था। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का 2010 का फैसला इसपर लगु नहीं होता लेकिन हाई कोर्ट ने कुछ नहीं सोचा और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के नाम पर बहुत ही अव्यावहारिक, अविवेकपूर्ण, दुर्भाग्यपूर्ण और पिछड़ा विरोधी फैसला लिया। नतीजा सामने है। निकाय चुनाव को ही कोर्ट के पचड़े में डाल दिया गया है। यह और कुछ नहीं, संघ–भाजपा की आरक्षण विरोधी गहरी साजिश का हिस्सा है।
Next Story