नकली उत्पाद भारत के बाज़ार का 25-30 फीसदी एएसपीए और क्रिसिल की रिपोर्ट
पटना: नकली उत्पाद भारत के सभी महत्वपूर्ण उद्योगों जैसे फार्मास्युटिकल्स, एफएमसीजी, ऑटोमोटिव्स, परिधान, कन्ज़्यूमर ड्यूरेबल्स/ इलेक्ट्रोनिक्स, कृषि उत्पादों-के स्थायी विकास को प्रभावित कर रहे हैं, एएसपीए और क्रिसिल द्वारा जारी नई रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है। यह रिपोर्ट भारत के 12 शहरों (दिल्ली, आगरा, जलंधर, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर, कोलकाता, पटना, चेन्नई, बैंगलोर और हैदराबाद) में उपभोक्ताओं एवं खुदरा विक्रेताओं के साथ किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसके द्वारा विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में नकली उत्पादों के बारे में जानने का प्रयास किया गया है।
सर्वेक्षण का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि उपभोक्ताओं की धारणा के मुताबिक बाज़ार में नकली उत्पादों की सीमा 25-30 फीसदी है, जो उद्योग जगत के अनुमानों की तुलना में अधिक है। सबसे ज़्यादा जालसाज़ी गतिविधियां एफएमसीजी, परिधान एवं कृषि रसायन क्षेत्रों में सामने आई हैं (तकरीबन 30 फीसदी), इसके बाद फार्मास्युटिकल, ऑटोमोटिव एवं कन्ज़्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर में भी नकली उत्पादों के बहुत अधिक मामले (20-25 फीसदी) पाए गए हैं। सर्वेक्षण के अनुसार तकरीबन 80 फीसदी उपभोक्ताओं ने इस बात को स्वीकारा कि बाज़ार में नकली उत्पाद मौजूद हैं और कई कारणों के चलते मजबूरी में ऐसे नकली उत्पाद खरीदते हैं जैसे कीमत के प्रति संवेदनशीलता, मांग और आपूर्ति के बीच अंतर, लक्ज़री ब्राण्ड खरीदने की चाहत, साथियों का दबाव एवं सामाजिक प्रेरणा।