बिहार

बिहार के शिक्षामंत्री के विवादित बोल, पोटैशियम सायनाइड से की रामचरितमानस की तुलना

SANTOSI TANDI
15 Sep 2023 7:47 AM GMT
बिहार के शिक्षामंत्री के विवादित बोल, पोटैशियम सायनाइड से की रामचरितमानस की तुलना
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सायनाइड से की रामचरितमानस की तुलना
बिहार :के शिक्षामंत्री प्रो. चन्द्रशेखर ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है. उन्होंने रामचरितमानस की तुलना पोटैशियम सायनाइड से की है. अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहने वाले चन्द्रशेखर ने कहा कि रामचरितमानस में पोटेशियम साइनाइड है जब तक यह रहेगा तब तक इसका विरोध करते रहेंगे. हिंदी दिवस पर बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि खाने में 55 तरह के व्यंजन परोस कर उसमें पोटैशियम सायनाइड मिला दीजिए फिर क्या होगा? हिंदू धर्म ग्रंथों का भी वही हाल है. इसलिए वह इसका विरोध करते रहेंगे.
इसके साथ ही उन्होंने रामचरितमानस के अरण्यकांड की एक चौपाई ‘पूजही विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पुजहु वेद प्रवीना ‘ का उल्लेख करते हुए सवाल किया कि क्या इसमें जाति को लेकर गलत बात नहीं कही गई है?
‘रामचरितमानस को लेकर आपत्ति जीवन भर रहेगी’
बिहार के शिक्षामंत्री ने कहा कि रामचरितमानस को लेकर उनकी आपत्ति जीवन भर रहेगी. उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत भी इसपर टिप्पणी कर चुके हैं. उन्होंने दो बार इसपर टिप्पणी की है. मोहन भागवत की टिप्पणी यू्ट्यूब पर भी उपलब्ध है. बाबा नागार्जुन और लोहिया ने भी रामचरितमानस पर टिप्पणी की है.
जीभ की कीमत 10 करोड़ तो गाल की क्या होगी !
प्रो. चन्द्रशेखर ने अपने विरोधियों पर तंज करते हुए कहा कि सुंदरकांड के दोहे पर टिप्पणी की तो उनके जीभ काटने वालों को 10 करोड रुपए देने की बात कही गई थी ऐसे में मेरे गले की कीमत क्या होगी?. मुझे देश से बाहर जाने की धमकी दी जाती है. लेकिन जबतक गोदान के पात्र की जातियां बदलेगी तब तक उनका विरोध कायम रहेगा. इसके साथ ही मंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सवाल किया कि क्या गुणयुक्त शूद्र वेद का जानकारी होने पर भी पूजनीय नहीं हैं.
पहले भी रामचरितमानस पर दे चुके हैं विवादित बयान
इसके साथ ही शिक्षामंत्री ने आरक्षण और जातीय गणना पर कहा कि जबतक गटर में उतरने वालों की जातियां नहीं बदल जाती है तबतक देश में आरक्षण और जातीय गणना की जरूरत पड़ती रहेगी. चन्द्रशेखर ने रामचरित मानस पर पहली बार विवादित बयान नहीं दिया है. इससे पहले नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उन्होंने रामचरितमानस बांटने वाला धर्म ग्रंथ बताया था.
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