बिहार

केविके में सिर्फ बछिया जननेवाली लैब का निर्माण हुआ शुरू

Admin Delhi 1
4 Aug 2023 9:30 AM GMT
केविके में सिर्फ बछिया जननेवाली लैब का निर्माण हुआ शुरू
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मोतिहारी: चम्पारण वासियों के लिए खुशखबरी है. अब चम्पारण की जमी पर जनेगी सिर्फ बछिया. जी हां, इस नए तकनीक वाली लेबोरेटरी केविके पीपराकोठी के कैम्पस में निर्मित हो रहा है. जो शीघ्र ही काम करना आरम्भ कर देगा. यह प्रयोगशाला केविके में स्थापित उत्कृष्ट पशु प्रजनन केंद्र में निर्मित हो रहा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सांसद राधामोहन सिंह के प्रयास से देसी नस्लों के गायों के विकास के लिए ब्राजील से ऐतिहासिक समझौता वर्ष 2018 में किया गया था. जिसके तहत पीपराकोठी में पशु प्रजनन उत्कृष्ट केंद्र का निर्माण हुआ है. ब्राजील इस केंद्र को तकनीक व दुग्ध उत्पादन में वृद्धि का अपना अनुभव साझा करेगा. उससे जिले में दुग्ध क्रांति आएगी.

पूर्व में भी पैदा हुई है बछिया दो वर्षों के अथक प्रयास से उत्कृष्ट पशु प्रजनन केंद्र के वैज्ञानिकों को द्वारा पहली बछिया जनने को लेकर जिले में पशुपालन के क्षेत्र में उम्मीद जगी है. भ्रूण प्रत्यारोपण से उत्कृष्ट पशु प्रजनन केंद्र के प्रयास से डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा में पहली बछिया का जन्म 8 जनवरी 23 को हुआ. उसके बाद तीन गायों पर प्रयास रहा. देसी नस्ल की गायों के विकास व संरक्षित करने के लिए जारी परियोजना के तहत भ्रूण प्रत्यारोपण से पहली बछिया को जन्म दिया है. आधा दर्जन वैज्ञानिक वर्ष 2021 से इस कार्य में लगे थे. हालांकि पीपराकोठी केंद्र पर अनुकूल वातावरण युक्त प्रयोगशाला नहीं होने के कारण डॉ. राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के प्रयोगशाला में बछिये का जन्म कराया गया. परंतु अब इस लैब के बन जाने से चम्पारण में ही तकनीक का इस्तेमाल होगा.

क्या है भ्रूण स्थानांतरण संस्थान के निदेशक डॉ. ए कुंडू ने बताया कि यह मल्टीपल ओव्यूलेशन और एम्ब्रियो ट्रांसफर तकनीक के रूप में भी जाना जाता है. इसका उपयोग बेहतर मादा डेयरी जानवरों की प्रजनन दर को बढ़ाने के लिए किया जाता है. आम तौर पर, एक साल में एक गाय से एक बछड़ा या बछिया प्राप्त किया जा सकता है. लेकिन एमओईटी तकनीक के इस्तेमाल से एक गाय से एक साल में इससे अधिक बछिया मिल सकते हैं. एक बढ़िया नस्ल की गाय को सुपर-ओव्यूलेशन को प्रेरित करने के लिए एफएसएच जैसी गतिविधि वाले हार्मोन दिए जाते हैं. हार्मोन के प्रभाव में, मादा सामान्य रूप से उत्पादित एक अंडे के बजाय कई अंडे देती है. एस्ट्रस के दौरान 12 घंटे के बाद पर सुपर-ओवुलेटेड मादा का 2-3 बार गर्भाधान किया जाता है और फिर विकासशील भ्रूणों को फिर से प्राप्त करने के लिए इसके गर्भाशय को गर्भाधान के बाद मध्यम 7वें दिन से फ्लश किया जाता है. एक विशेष फिल्टर में फ्लशिंग माध्यम के साथ भ्रूण एकत्र किए जाते हैं और माइक्रोस्कोप के तहत भ्रूण की गुणवत्ता का आकलन किया जाता है.

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