पटना न्यूज़: शहर में हर साल बिजली की डिमांड में 100 से 150 मेगावाट की बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में निर्बाध बिजली आपूर्ति को लेकर बीते साल ही बिजली संरचना को विस्तार की योजना बनाई गई थी. इसके तहत 11 जीआईएस तकनीक (गैस इंसूलेटेड) पर आधारित पावर सबस्टेशन बनना है. इससाल के जून में इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जिसमें तीन निर्माणाधीन पीएसएस और आठ स्वीकृत पीएसएस का निर्माण होना है.
निर्माणाधीन तीन पीएसएस में एक चालू हो गया और दो चालू होने के कगार पर है. स्वीकृत आठ पीएसएस के निर्माण का मामला भूमि के पेंच में फंसा हुआ है. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. जिसके कारण निर्माण कार्य शुरू होने में देरी हो रही है. इधर जिस तेजी से लोड में विस्तार हो रहा और पीएसएस निर्माण में लेटलतिफी हो रही उससे पेसू की चिंता बढ़ गई है.
निर्माणाधीन पीएसएस में एक जगनपुरा चालू हो गया. दूसरा एनएमसीएच अगले हफ्ते तक चालू होगा. दीघा आईटीआई पीएसएस में काम चल रहा जो करीबन तीन महीने में चालू होगा. एनएमसीएच पीएसएस की बैट्री जल गई थी. इसे बदलने की प्रक्रिया हो रही है. अगले हफ्ते तक बदलकर चालू कर लिया जाएगा. तीनों पीएसएस की बिजली आपूर्ति क्षमता 60 मेगावाट है. इससे जगनपुरा, एनएमसीएच और दीघा इलाके को फायदा पहुंचेगा.
निर्माणाधीन तीनों पीएसएस को जीनिया एजेंसी बना रही है. एजेंसी के कार्य की सुस्ती के कारण योजना समय से पूरी नहीं हो पा रही है. जगनपुरा, एनएमसीएच और दीघा आईटीआई पीएसएस में अबतक एक जगनपुरा ही चालू हो सका है. दो पीएसएस लटका हुआ है. इसमें दीघा आईटीआई का 50 फीसदी काम बचा हुआ है. अभी इसका स्ट्रक्चर ही बना है. कंट्रोल रूम बनना बांकी है. उसके बाद उपकरण आएंगे और इंसटॉल होगा. इसमें काफी समय लगेगा. इससाल के जून तक ही इसे पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन काम की सुस्ती के कारण हो नहीं पाएगा
बिजली आपूर्ति क्षमता 160 मेगावाट होगी
जमीन अधिग्रहण के मामले में आठ पीएसएस का निर्माण कार्य लटका हुआ है. उनमें विजय नगर, आशियाना, चंद्र विहार कॉलोनी आशियाना, टी-प्वाइंट गोला रोड, कोथमा खगौल, नंद लाल छपरा, रानीपुर, रूपसपुर, कर्पूरी भवन के सामने (बिहार राज्य आवास बोर्ड) शामिल हैं. इन पीएसएस की बिजली आपूर्ति क्षमता 160 मेगावाट होगी. इससे संबंधित इलाके में बिजली की समस्या आने वाले समय में नहीं होगी.