पटना, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दरबार में सोमवार को राज्य के अलग-अलग हिस्सों से लोग अपनी-अपनी शिकायत लेकर पहुंचे। बक्सर से आए एक व्यक्ति ने बताया कि उसे सोलह साल पहले 2007 में इंदिरा आवास की पहली किस्त मिली थी। 2023 लगभग आधा बीत चुका है, लेकिन दूसरी किस्त नहीं मिली है। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारी को तुरंत इस मामले को देखने का निर्देश दिया।
जनता दरबार में निजी व सरकारी जमीन के कब्जे की काफी शिकायतें भी मुख्यमंत्री के पास पहुंचीं। कैमूर की एक महिला ने कहा कि उसका इंदिरा आवास सरकार की दी हुई जमीन पर बना है। अभी प्रशासन से उसे नोटिस मिला है कि इंदिरा आवास अतिक्रमण वाली जमीन पर बना है। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारी से इस बारे में बात की। अधिकारी ने बताया कि जांच के क्रम में यह बात सामने आई है कि इंदिरा आवास जिस जमीन पर बना है, वह अतिक्रमण वाली जमीन नहीं है।
इसके बाज जनता दरबार में पहुंचे एक युवक ने आते ही मुख्यमंत्री को कहा- प्रणाम अंकल। मैं आपके इंजीनियरिंग कालेज के दिनों के साथी का पुत्र हूं। आपके अधिकारी दाखिल करते हैं, लेकिन खारिज नहीं करते हैं। मैंने जमीन लिया था, उसका दाखिल तो हो गया पर खारिज नहीं हो रहा है। इससे बहुत परेशानी हो रही है।
पूर्णिया से आए व्यक्ति ने यह गुहार लगाई कि सीओ व कर्मचारी उसकी जमीन का दाखिल खारिज नहीं कर रहे है। हालांकि, संबंधित जमीन के बारे में डीसीएलआर ने उसके पक्ष में फैसला दिया है। मुख्यमंत्री ने संबंधित विभाग के अधिकारी को एक्शन लेने का निर्देश दिया। सीवान से आई एक महिला ने भी कहा कि सीओ दाखिल-खारिज नहीं कर रहे है।
जनता दरबार में निजी जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर लिए जाने की काफी शिकायतें पहुंचीं। सुपौल से आए एक व्यक्ति ने कहा कि उसके दादा जी के नाम पर जो जमीन थी उस पर कब्जा कर लिया गया है। गलत तरीके से रसीद भी काट लिया गया है। शिकायत किया तो उस पर हरिजन उत्पीड़न एक्ट के तहत मुकदमा कर दिया गया।
शिवहर से आए एक व्यक्ति ने बताया कि 50 साल पहले उसके दादा ने सात धुर जमीन बेची थी पर जिसने जमीन खरीदी उसने 12 धुर पर कब्जा कर लिया है।
एक व्यक्ति ने यह शिकायत किया कि उसके इलाके में 14 फीट की सड़क थी। हालांकि, दबंगों ने इतना अधिक अतिक्रमण कर लिया है कि सड़क की चौड़ाई नौ फीट की हो गयी है। दबंगों के दहशत से कोई कुछ नहीं बोल पाता।
एक व्यक्ति ने बताया कि अपनी जमीन से जुड़े मामले में उसने परिमार्जन के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संबंधित पोर्टल पर तीन महीने पहले आवेदन किया था पर अभी तक वह अटका हुआ है। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारी को कहा कि मैंने तो पहले कहा था कि पुराने सिस्टम को भी रखिए।