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बिहार | जिले के सभी सरकारी विद्यालयों में एक सितंबर से साफ-सफाई का कार्य निजी एजेंसी से कराने की योजना सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में भी धरातल पर नहीं उतर सकी.
एक सितंबर से विशेषकर सरकारी विद्यालयों के शौचालयों की रोजाना की सफाई व उसमें नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित कराना आकार नहीं ले सका. हालांकि विभाग द्वारा इसके लिए एजेंसी का चयन करते हुए एक सितंबर से प्रत्येक विद्यालय परिसर व शौचालय की साफ-सफाई निजी एजेंसी के जरिए कराने से संबंधित पत्र जारी करते हुए एजेंसी का नाम भी जारी कर दिया गया था. वहीं विद्यालयों में शौचालय में नल से जल की आपूर्ति को अनिवार्य करने का फरमान जारी कर दिया गया था. विभागीय निर्देश के अनुसार, निजी एजेंसी को अपने कर्मियों की मदद से विद्यालय के शौचालय की सफाई, विद्यालय परिसर समेत बेंच, डेस्क, क्लास रूम, छत, दरवाजा, सीढ़ी, बरामदा व विद्यालय के बाहरी क्षेत्र की सफाई करनी थी. सफाई के सभी कार्य पूरा करने के बाद कचरे को डस्टबिन में रखने का निर्देश दिया गया था. जारी निर्देश में यह भी कहा गया था कि सफाई के लिए चिन्हित एजेंसियों के माध्यम से ही फिनाइल, तेजाब व सफाई के अन्य सामान का प्रबंध करना होगा. मगर विभाग का जारी यह फरमान कहीं भी धरातल पर नहीं दिख रहा है. विद्यालयों की साफ-सफाई से लेकर शौचालय की व्यवस्था हो या फिर पीने के लिए पानी का, सबकुछ उसी पुराने ढर्रे पर चल रहा है. विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि ऐसी सूचना विभाग के स्तर से मिली थी, लेकिन जिले भर में ऐसी कोई भी एजेंसी किसी भी प्रखंड में नहीं आई जिसके द्वारा विद्यालयों की साफ-सफाई हो या शौचालय की या फिर बच्चों के पीने के लिए पानी का इंतजाम अपने स्तर से करे. विद्यालय प्रबंधन पूर्व की तरह अपने स्तर से आज भी सारी व्यवस्था कर और करा रहा है.
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Harrison
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