गोपालगंज: गोपालगंज शहर के बीच से गुजरने वाली छाड़ी नदी नालों के गंदा पानी से पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी है. नदी में शहर के छोटे-बड़े पचास से अधिक नालों का पानी गिरता है. नालों के पानी के साथ अपशिष्ट पदार्थ बह कर आने से जगह-जगह नदी भर गई है. जिससे पानी का प्रवाह भी बाधित है.
नदी किनारे के मोहल्ले के लोगों का सडांध से जीना दुश्वार बना हुआ है. तेज हवा बहने पर लोग खिड़की बंद कर रहने को विवश हैं. जनजीवन प्रभावित है. एक अनुमान के अनुसार हर रोज करीब चार लाख लीटर गंदा पानी नदी में बहाया जाता है. यह नदी हीरापाकड़ से हासिलपुर तक करीब 135 किलोमीटर में है. शहरी क्षेत्र से लेकर मांझा, बरौली होते हुए सीवान तक जाने वाली नदी के दोनों किनारों की जमीन पर अतिक्रमण कर लिए जाने से कई जगहों पर यह नाला में तब्दील हो चुकी है. छाड़ी नदी की शुरूआत एक छोर से हजियापुर मोड़ के समीप से हुई है. यहां से लेकर वीएम फिल्ड , नोनिया टोली, पुरानी चौक, चिराई घर, दरगाह, वार्ड नंबर दस, बीस,छब्बीस आदि मोहल्लों से होकर यह नदी गुजरी है. इस नदी की लंबाई शहरी क्षेत्र में ही करीब तीन किलोमीटर है. पर्यावरण के जानकार व नदी की अविरलता के लिए अभियान चला रहे ईं विमल कुमार बताते हैं कि नदी के प्रदूषित रहने से मानव स्वास्थ्य से लेकर जलीय जीव-जंतु पर असर पड़ रहा है. नजदीक बसे घरों के लोग बीमार पड़ रहे हैं. शहर के डॉक्टर राजीव रंजन बताते हैं कि नदी के प्रदूषित पानी व कीड़े-मकोड़े से इसके आसपास रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. इससे मलेरिया,डायरिया,हैजा,अस्थामा सहित कई संक्रामक बीमारियां होने की आशंका रहती हैं.
नहीं है कोई वाटर ट्रीटमेंट प्लांट शहर का दायरा बढ़ने व घरों से निकलने वाले गंदा पानी के ट्रीटमेंट के लिए शहर में अब तक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था नहीं की गई है. हालांकि नगर परिषद के शहर के विकास योजना में यह प्रस्तावित है. मगर प्लांट लगाने के लिए जमीन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. नतीजतन हर वर्ष नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है.