वार्ड पार्षदों की बैठक के लिए भाड़े पर लेनी पड़ती है कुर्सी-टेबल
पटना न्यूज़: पटना नगर निगम के सभी पार्षदों के एक साथ एक जगह बैठने की निगम मुख्यालय में कोई व्यवस्था नहीं है. यही वजह है कि आज तक निगम बोर्ड की बैठक मुख्यालय में नहीं हो पाई है. बैठक या तो मुख्यालय से बाहर करनी पड़ती है या फिर किराए पर होटल लेना पड़ता है. नगर सरकार के लिए ऐसे भवन बनाने की कवायद लंबे अर्से से चल रही है, जहां सभी 75 पार्षद और अधिकारी बैठक सकें, लेकिन यह धरातल पर उतरता नहीं दिख रहा.
वर्ष 2021 में सशक्त स्थायी समिति की बैठक में नया नगर सरकार भवन बनाने की योजना को मंजूरी मिली थी लेकिन आजतक नगर निगम का अपना भवन नहीं बन पाया. पिछले दिनों हुई निगम बोर्ड की बैठक में महिला पार्षदों को हुई असुविधा को लेकर उनके द्वारा विरोध भी जताया गया था. बैठने के लिए जगह की कमी और महिला शौचायल की क्षमता पर्याप्त नहीं होने से सबसे अधिक महिला पार्षदों को निगम बोर्ड की बैठक में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
तीन साल से लटकी है योजना तीन साल से नगर निगम सरकार भवन बनाने की योजना लटकी हुई है. नूतन राजधानी अंचल कार्यालय में नगर निगम का मुख्य भवन बनाने की योजना बनी थी. इसी प्रस्तावित भवन में पटना नगर निगम का मुख्यायल शिफ्ट करने की योजना थी. नूतन राजधानी अंचल कार्यालय को तोड़ कर नगर सरकार भवन बनाने की योजना पर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ. योजना के मुताबिक नया नगर सरकार भवन पांच मंजिला होगा. इसमें 200 लोगों के बैठने के लिए मीटिंग हॉल भी होगा. नये भवन के निर्माण पर तीन साल पहले अनुमानित लागत 15 करोड़ रुपये लगायी गयी थी. अभी नगर निगम मुख्यालय मौर्यालोक परिसर में है. यहीं पर महापौर, उपमहापौर और नगर आयुक्त का कार्यालय है. जहां एक साथ 100 लोगों के बैठने की भी व्यवस्था नहीं है. वहीं तीन अंचल कार्यालय सामुदायिक भवन में चल रहे हैं. इसमें कई कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है.
पार्षदों को बोलने के लिए माइक भी ली जाती है किराये पर
महापौर, उपहापौर और नगर आयुक्त समेत सभी 75 वार्ड पार्षदों को जब निगम बोर्ड की बैठक करनी होती है तो इसके लिए भाड़े पर कुर्सी, टेबल और माइक की व्यवस्था करनी पड़ती है. नगर सरकार के पास न तो अपना भवन है और न ही सभागार. करीब 18 लाख की आबादी वाले नगर सरकार को बैठक करने के लिए जगह तक नसीब नहीं है. नगर सरकार की सबसे बड़ी बैठक निगम बोर्ड की होती है. जिसमें निगम प्रशासन और सभी जनप्रतिनिधियों का पूरा अमला एक साथ उपस्थित होता है. निगम के पास इतना फंड नहीं है कि प्रत्येक निगम बोर्ड की बैठक किसी होटल में करे. मजबूरी बस एक मात्र विकल्प बांकीपुर अंचल कार्यालय है, जहां बैठने के लिए पर्याप्त जगह तक नहीं है. पार्षदों को बोलने के लिए माइक भी किराये पर लिया जाता है.