सीबीएसई ने मांगी निजी स्कूलों से नए सत्र की किताबों की सूची
पटना न्यूज़: सीबीएसई ने नए सत्र शुरू होने के पहले 25 मार्च तक सभी स्कूलों से किताबों की सूची मांगी है. स्कूलों को कक्षा वार किताबों की सूची (साथ में नोटबुक, स्टेशनरी) बोर्ड को उपलब्ध करवानी है. जिन स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें नहीं होंगी, बोर्ड उनपर अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा. स्कूल की सूची में 80 फीसदी किताबें एनसीईआरटी की होनी चाहिए. सूची उपलब्ध होने के बाद इसकी समीक्षा होगी.
बता दें कि एनसीईआरटी की किताबें पांच से छह सौ रुपए में मिलती है. वहीं, निजी प्रकाशन की किताबों पर सात से आठ हजार रुपये खर्च होता है. सीबीएसई के क्षेत्रीय कार्यालय ने सभी स्कूलों को चेताया है. साथ ही कहा कि कोई स्कूल एनसीईआरटी की किताबें नहीं चलाता हैं तो कारण बताओ नोटिस देने के बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
20 फीसदी ही होती हैं एनसीईआरटी की किताबें: स्कूलों में मनमाने ढंग से किताबें चलाई जाती है. ज्यादातर स्कूलों के हर कक्षा के किताबों की सूची में 20 फीसदी ही एनसीईआरटी की किताबें होती हैं. निजी स्कूल ी२ं विभिन्न निजी प्रकाशन की किताबें चलाई जाती हैं. ऐसा करने से बच्चे एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से वंचित रह जाते हैं. वहीं अभिभावकों को अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ती है.
मोटी किताबों के कारण बस्ता नहीं होता हल्का: बोर्ड ने यह भी कहा है कि निजी प्रकाशन की किताबों की खरीदारी में अभिभावकों की आर्थिक बोझ पड़ता है. साथ में बच्चों का बस्ता हल्का नहीं रहता. बच्चे दो या तीन भी किताबें ही स्कूल बैग में रखते हैं तो भी वो भारी हो जाता है. ज्ञात हो कि निजी स्कूल द्वारा हर साल किताबों के दाम बढ़ा दिये जाते हैं. इस बार भी 15 फीसदी की बढ़ोतरी की जायेगी.